Pakistan : 32 साल का सैन्य शासन, 3 युद्ध और 5 मार्शल लॉ, पाकिस्तान की बर्बादी की पूरी कहानी
पाकिस्तान की सेना ने यह स्पष्ट किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी तत्काल रिहाई के बाद एक और मार्शल लॉ लगाने का उनका कोई इरादा नहीं है। हालांकि, पाकिस्तान का जिस तरह का इतिहास रहा है, उसे देखते हुए सैन्य शासन लागू होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता
पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक संकट की स्थिति बन रही है।
Pakistan : पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक संकट की स्थिति बन रही है। मौजूदा सरकार और सेना के खिलाफ पूरे देश में हिंसक विरोध देखा जा रहा है। हालांकि पाकिस्तान की सेना ने यह स्पष्ट किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी तत्काल रिहाई के बाद एक और मार्शल लॉ लगाने का उनका कोई इरादा नहीं है। हालांकि, पाकिस्तान का जिस तरह का इतिहास रहा है, उसे देखते हुए सैन्य शासन लागू होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस बार प्रदर्शनकारी पाकिस्तान की सेना को निशाना बना रहे हैं। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों में सैन्य परिसरों पर हमला किया गया। प्रदर्शनकारियों ने रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय पर धावा बोल दिया। यहां हमने पाकिस्तान के इतिहास में लागू हुए मार्शल लॉ की पूरी कहानी बताई है।
चौथा और पांचवां मार्शल लॉ
भारत और पाकिस्तान साल 1947 में साथ आजाद हुए थे, लेकिन आजादी के बाद अब तक पाकिस्तान में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। आखिरी बार देश में 16 साल पहले साल 2007 में परवेज मुशर्रफ ने मार्शल लॉ लगाया था। एक सैन्य तख्तापलट में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख मुशर्रफ ने 12 अक्टूबर 1999 को देश के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटा दिया। इसके बाद उन्होंने 14 अक्टूबर 1999 को मार्शल लॉ घोषित कर दिया। उन्होंने देश के संविधान को निलंबित कर दिया और इसकी संसद को भंग कर दिया। इतना ही नहीं, कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कारगिल युद्ध की साजिश भी रची थी।
मुशर्रफ सेना का नेतृत्व करने के लिए शरीफ की पसंद थे, लेकिन जनरल (सेवानिवृत्त) जियाउद्दीन बट की पाकिस्तानी अखबार डॉन के साथ बातचीत के अनुसार अक्टूबर 1998 में सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद मुशर्रफ का पहला मकसद पाकिस्तान का अगला सैन्य तख्तापलट था।
जून 2001 में मुशर्रफ देश के राष्ट्रपति बन गए। 2002 में उन्होंने देश पर एक भारी संशोधित संविधान लागू किया। इसके चलते उनका कार्यकाल अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ गया। महाभियोग का सामना करते हुए मुशर्रफ को 18 अगस्त 2008 को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुशर्रफ 3234 दिन या आठ साल और 10 महीने तक कार्यालय में रहे।
पहला मार्शल लॉ
पाकिस्तान का जन्म 1947 में हुआ था। देश ने नौ साल बाद 29 फरवरी, 1956 को अपना संविधान अपनाया था। संविधान लागू होने के 29 महीनों के भीतर 7 अक्टूबर 1958 को तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने इसे निरस्त कर दिया। कहा जाता है कि उन्होंने देश में आपातकाल लागू करने के लिए सेना के साथ सांठगांठ की थी।
यह पाकिस्तान में पहला मार्शल लॉ था। राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई। राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं को भंग कर दिया गया। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद अयूब खान को मुख्य मार्शल लॉ प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद पाकिस्तान में पहला सैन्य तख्तापलट हुआ। अयूब खान 27 अक्टूबर 1958 को इस्कंदर मिर्जा को पद से हटाकर देश के राष्ट्रपति बन गए।
दूसरा मार्शल लॉ
अयूब खान के राष्ट्रपति कार्यालय से इस्तीफा देने के तुरंत बाद देश का दूसरा मार्शल लॉ लगाया गया था। इसके साथ 25 मार्च 1969 को जनरल याह्या खान देश के राष्ट्रपति बन गए। उन्होंने दिसंबर 1971 तक राष्ट्रपति सेना प्रमुख और मार्शल लॉ प्रशासक के रूप में देश पर शासन किया। याह्या खान ने नए संविधान के साथ देश में चुनाव कराने का समर्थन किया। उन्होंने घोषणा की कि वह अगले आम चुनाव तक देश पर शासन करेंगे।
उनके शासन के तहत पाकिस्तान ने भारत के साथ एक और युद्ध की जिसमें पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुई। इसके चलते देश दो भागों में बंट गया। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश के रूप में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। याह्या खान ने 1,001 दिन या लगभग दो साल और नौ महीने तक देश पर शासन किया।
तीसरा मार्शल लॉ
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल जिया-उल-हक द्वारा 5 जुलाई 1977 को पाकिस्तान का तीसरा मार्शल लॉ घोषित किया गया था। उन्होंने देश की बागडोर संभाली और प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को चुनावी धोखाधड़ी के आरोपों में नजरबंद कर दिया। जिया-उल-हक पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व करने के लिए भुट्टो की पसंद थे।
मार्शल लॉ की घोषणा करते हुए उन्होंने देश को 90 दिनों में चुनाव कराने का आश्वासन दिया, लेकिन जल्द ही सितंबर 1978 में खुद को अगला राष्ट्रपति घोषित कर दिया। अगले साल, सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को निशाना बनाया गया और उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। भुट्टो को दोषी पाया गया और 4 अप्रैल 1979 को उन्हें फांसी दे दी गई।
राष्ट्रपति जिया 17 अगस्त 1988 तक देश और उसकी सेना का नेतृत्व करते हुए विमान दुर्घटना में मरने से पहले तक पद पर रहे। उन्होंने देश पर 3624 दिन या नौ साल और 11 महीने तक शासन किया।
32 सालों तक रहा सैन्य शासन
महज 75 साल के युवा देश में तीन संविधानों को लागू किया गया। देश के संविधान को दो बार निरस्त किया गया और कई बार निलंबित किया गया। सैन्य तानाशाहों ने अपने अपने मकसद के लिए इसमें भारी संशोधन किया। देश ने लगभग 32 सालों तक सैन्य शासन का सामना किया है, जिसमें पांच मार्शल लॉ शामिल हैं। सैन्य तानाशाहों ने पाकिस्तान को भारत के साथ तीन बार युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया। किसी भी देश में विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता बेहद जरूरी है। भारत के मुकाबले पाकिस्तान के पीछे रह जाने की एक बड़ी वजह यह भी है।