यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका ने रूस की 2 सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिका का कहना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध में बातचीत पर ईमानदार और स्पष्ट नहीं हैं। ये प्रतिबंध यूरोपीय देश हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में ट्रंप-पुतिन शिखर सम्मेलन के रद्द होने के एक दिन बाद लगाए गए हैं।
रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगने के बाद तेल की कीमतों में गुरुवार को 1 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। रॉयटर्स के मुताबिक, ब्रेंट क्रूड वायदा 1.76 डॉलर या 2.81% बढ़कर 64.35 डॉलर पर पहुंच गया। यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 1.68 डॉलर या 2.87% बढ़कर 60.18 डॉलर पर पहुंच गया।
जरूरत के मुताबिक, आगे की कार्रवाई को तैयार है अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले युद्ध को लेकर रूस पर प्रतिबंध नहीं लगाए थे, बल्कि व्यापार उपायों पर भरोसा किया था। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक बयान में कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ओर से इस बेमतलब युद्ध को खत्म करने से इनकार के मद्देनजर वित्त मंत्रालय रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रहा है। ये कंपनियां रूस की वॉर मशीन को फंड करती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि वित्त मंत्रालय यूक्रेन युद्ध खत्म करने के ट्रंप की कोशिशों को सपोर्ट करने के लिए जरूरत के मुताबिक, आगे की कार्रवाई करने को तैयार है।
बेसेंट का कहना है कि यह कदम रूस के खिलाफ अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिबंधों में से एक है। बेसेंट ने प्रतिबंधों की आधिकारिक घोषणा से पहले फॉक्स बिजनेस को बताया कि पुतिन ईमानदार और स्पष्ट तरीके से बातचीत की मेज पर नहीं आए। ट्रंप ने महीनों तक नए प्रतिबंधों को टाला, यह कहते हुए कि उन्हें उम्मीद है कि पुतिन के साथ बढ़ती निराशा के बावजूद वह उन्हें शांति के लिए मना लेंगे।
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों के भी तेवर कड़े
पिछले हफ्ते ब्रिटेन ने रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए। इसके अलावा, यूरोपीय संघ के देशों ने युद्ध के लिए रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के 19वें पैकेज को मंजूरी दी। इनमें 2027 तक रूस से लिक्विफाइड नेचुरल गैस के आयात पर प्रतिबंध, मास्को द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तेल टैंकरों को ब्लैक लिस्ट में डालना और रूसी डिप्लोमैट्स पर यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं।