DeepSeek : हाल ही में आए चीन के AI मॉडल डीपसीक ने दुनियाभर में तहला मचा दिया है। जहां अमेरिकी कंपनियों ने अरबों डॉलर खर्च करके AI मॉडल तैयार किया है। वहीं चीनी स्टार्टअप ने सिर्फ कुछ लाख डॉलर और कुछ महीनों के वक्त में DeepSeek का R1 मॉडल को तैयार कर दिया। लेकिन, चीनी स्टार्टअप डीपसीक का बिजनेस जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, चीनी सरकार इसकी AI टेक्नोलॉजी पर कड़ी नज़र रख रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने अपने कुछ अहम कर्मचारियों को विदेश जाने से रोक दिया है। इसका मकसद, कॉन्फिडेंशियल जानकारी लीक न होने देना है। यह फैसला तब आया जब कुछ हफ्ते पहले चीन ने अपने AI एक्सपर्ट और रिसर्चर्स के अमेरिका जाने पर रोक लगा दी थी। सरकार को डर है कि बिजनेस से जुड़ी अहम जानकारियां बाहर जा सकती हैं।
डीपसीक के कर्मचारियों के पासपोर्ट जब्त
चीनी स्टार्टअप डीपसीक ने अपने प्रमुख अधिकारियों के पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं ताकि वे दूसरे देशों में यात्रा न कर सकें। द इंफॉर्मेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, डीपसीक अब नए सरकारी नियमों के तहत काम कर रहा है। यह सख्ती तब बढ़ी जब जनवरी में कंपनी ने अपना ओपन “रीज़निंग” मॉडल R1 लॉन्च किया और अचानक चर्चा में आ गई। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब चीनी सरकार यह तय कर सकती है कि डीपसीक में कौन निवेश कर सकता है। इससे साफ है कि सरकार कंपनी पर अधिक नियंत्रण चाहती है। यहां तक कि चीनी सरकार ने डीपसीक को "नेशनल ट्रेजर" तक कह दिया है।
यात्रा प्रतिबंध लागू करने के लिए डीपसीक की मूल कंपनी हाई-फ्लायर, जो एक हेज फंड है, ने कुछ कर्मचारियों के पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं, जिनमें रिसर्च और डेवलपमेंट टीम के लोग भी शामिल हैं। द इंफॉर्मेशन की रिपोर्ट के अनुसार, डीपसीक के इंजीनियरों ने अपने पासपोर्ट सरकार को सौंप दिए हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि कंपनी की बिजनेस से जुड़ी अहम जानकारी या कॉन्फिडेंशियल डेटा लीक न हो।
अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती बना डीपसीक
डीपसीक को AI की दुनिया में अमेरिका के सबसे बड़े कंपटीटर के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं अब चीन सरकार ने डीपसीक एआई रिसर्चर और कारोबारियों को अमेरिका से दूर रहने कहा है। इसका कारण यह बताया गया कि, AI बिजनेस से जुड़ी कॉन्फिडेंशियल जानकारी लीक हो सकती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, डीपसीक के फाउंडर लियांग वेनफ़ेंग कंपनी में नए मालिकों को शामिल करने को लेकर हिचकिचा रहे हैं। उनका मानना है कि इससे कंपनी के ऑपरेशन पर असर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सिलिकॉन वैली की AI कंपनियों के विपरीत, डीपसीक फिलहाल मुनाफा कमाने से ज्यादा एआई रिसर्च पर ध्यान देगा। चीन सरकार ने फिलहाल डीपसीक में काम करने वाले लोगों के पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं ताकि एआई टेक्नॉलॉजी सेफ रहे।
चीन का तेजी से उभरता AI स्टार्टअप
बता दें कि डीपसीक, मई 2023 में लॉन्च हुई थी। इसे लियांग वेनफेंग ने चीन के हांग्जो में शुरू किया था। इससे पहले, लियांग ने 2015 में हाई-फ्लायर नाम से एक हेज फंड भी शुरू किया था।
लियांग वेनफेंग ने 50,000 एनवीडिया A100 चिप्स जुटाकर डीपसीक लॉन्च किया था। लेकिन बाद में अमेरिका ने इन चिप्स के चीन को निर्यात पर रोक लगा दी। इसके बाद, डीपसीक ने सस्ते और लो कैपेसिटी वाले चिप्स का उपयोग किया।
नवंबर 2023 में डीपसीक ने "डीपसीक कोडर" नाम से अपना पहला AI प्रोडक्ट लॉन्च किया। मई 2024 में "डीपसीक एलएलएम" और "डीपसीक वी-2" जारी किए गए। वहीं इसके नए मॉडल R1 और V-3 ने दुनियाभर में हलचल मचा दी। डीपसीक का AI मॉडल कम लागत में जबरदस्त प्रदर्शन कर रहा है।
दिग्गजों से कर रहा मुकाबला
बता दें कि डीपसीक वी-3 मॉडल, जो 10 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ, उस पर सिर्फ 6 मिलियन डॉलर (करीब 51 करोड़ रुपये) खर्च हुए। यह रकम Apple और Microsoft जैसी बड़ी टेक कंपनियों के AI प्रोजेक्ट्स पर खर्च की गई राशि के मुकाबले बहुत कम है। कंपनी का दावा है कि यह ओपन-सोर्स AI मॉडल्स में सबसे आगे है और ये ग्लोबल क्लोज्ड-सोर्स AI मॉडल्स को भी कड़ी टक्कर दे रहा है। मैथ, कोडिंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में इसका प्रदर्शन OpenAI जैसे दिग्गजों से मुकाबले में आ रहा है। डीपसीक की कम लागत, बेहतरीन परफॉर्मेंस और तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने चीन और अमेरिका जैसे देशों में हलचल मचा दी है।