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श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर, जानिए क्यों बढ़ रही है महंगाई

श्रीलंका में दूध, ब्रेड, चीनी, चावल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान में पहुंच गए हैं और आबादी का बड़ा तबका यह खरीद नहीं पा रहा है

अपडेटेड Mar 26, 2022 पर 1:06 PM
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श्रीलंका की इकोनॉमी बर्बादी के कगार पर पहुंची

श्रीलंका (Sri Lanka) की अर्थव्यवस्था पूरी तरह खस्ता हो चुकी है। यहां की अर्थव्यवस्था पहले ही मुश्किल में थी लेकिन अब हालात बद से बद्तर हो रहे हैं। यहां  करीब 2.2 करोड़ आबादी है। महंगाई बेहिसाब बढ़ रही है।  श्रीलंका की इकोनॉमी (Sri Lankan Economy) पहले से मुश्किल में थी लेकिनअब हालात बेकाबू हो गए हैं। दूध, ब्रेड, चीनी, चावल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान में पहुंच गए हैं। आबादी के बड़े हिस्से के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल हो गया है।

फ्यूल के लिए पंप पर लंबी लाइन लग रही हैं। सरकार के खिलाफ लोगों के उग्र विरोध की खबरें आ रही हैं। सिचुएशन कंट्रोल में करने के लिए सरकार ने गैस स्टेशनों पर मिलिट्री तैनात कर दी है। एक दर्जन से ज्यादा शरणार्थियों के तमिलनाडु पहुंचने की खबर है। आखिर सोने की लंका कहे जाने वाले श्रीलंका की यह हालत कैसे हो गई?

ज्यादातर चीजों का आयात करता है श्रीलंका


श्रीलंका अपनी जरूरत ज्यादातर चीजें आयात करता है। इसमें दवा से लेकर ऑयल तक शामिल हैं। उसके कुल आयात में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी पिछले साल दिसंबर में 20 फीसदी थी। पिछले कुछ समय से श्रीलंका की सरकार जरूरी चीजों का आयात करने में नाकाम रही है। इससे वहां जरूरी चीजों की किल्लत हो गई है। जरूरी चीजों की पर्याप्त सप्लाई नहीं होने से उनकी कीमतें आसमान में पहुंच गई हैं।

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जरूरी चीजों की कीमतें आसमान में

रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, फूड प्राइसेज बढ़ने से लोगों की जिंदगी नर्क हो गई है। रेस्टोरेंट में एक कप चाय की कीमत 100 रुपये तक पहुंच गई है। वहां चावल का प्राइस 290 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। चीनी का भाव 290 रुपये प्रति किलो है। 400 ग्राम मिल्क पाउडर के लिए 790 रुपये चुकाना पड़ रहा है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा चोट क्रूड की बढ़ती कीमत और पर्यटन से रेवेन्यू घटने से लगी है। वहां इनफ्लेशन 15 फीसदी पहुंच गया है, जो एशिया में सबसे ज्यादा है। अर्थव्यवस्था की हालत दिन-ब-दिन कमजोर हो रही है।

आयात के लिए विदेशी मुद्रा नहीं

जरूरी चीजों के आयात के लिए श्रीलंका की सरकार के पास विदेशी मुद्रा नहीं है। कोरोना की महामारी का श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है। दरअसल, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म का बड़ा हाथ है। 81 अरब डॉलर की इकोनॉमी वाले इस देश को टूरिज्म से 3.6 अरब डॉलर की कमाई होती है। इस देश में करीब 30 फीसदी पर्यटक रूस, यूक्रेन पोलैंड और बेलारूस से आते हैं। कोरोना की महामारी का टूरिज्म पर काफी असर पड़ा था। अब रूस-यूक्रेन की लड़ाई की वजह से टूरिज्म से होने वाली इनकम बहुत घट गई है।

कर्ज के बोझ से बेहाल अर्थव्यवस्था

श्रीलंका पर करीब 32 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। इस तरह श्रीलंका की सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसे विदेशी कर्ज का पेमेंट करना है तो दूसरी तरफ अपने लोगों को मुश्किल से उबारना है। सरकार के सामने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक मदद लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। सिटीग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि श्रीलंका की सरकार को विदेशी कर्ज को जुलाई तक रीस्ट्रक्चर करना होगा। इसकी वजह यह है कि जुलाई में 1 अरब डॉलर का कर्ज लौटाने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं।

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