Akshaya Tritiya 2025: गोल्ड ने शेयर बाजार को छोड़ा पीछे, 1 साल में 30% का रिटर्न; क्या आगे भी जारी रहेगी तेजी?

Akshaya Tritiya 2025: गोल्ड ने पिछले साल अक्षय तृतीया से अब तक 30% रिटर्न दिया है। इसने रिटर्न देने के मामले में निफ्टी50 को पीछे छोड़ दिया है। आइए जानते हैं कि क्या सोना अब भी सबसे भरोसेमंद निवेश है और क्या गोल्ड का बुल रन अभी जारी रहेगा?

अपडेटेड Apr 29, 2025 पर 4:45 PM
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पिछले करीब 1 साल में गोल्ड ने 30% और निफ्टी50 TRI ने 10.2% का रिटर्न दिया है।

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया के मौके पर सोने की खरीद को बेहद शुभ माना जाता है। यही वजह है कि यह धनतेरस के साथ सबसे बड़ा सोने की खरीदारी वाला दिन माना जाता है। लेकिन इस बार सोने के खरीदारों के मन में एक बड़ा सवाल है- क्या पिछले साल की शानदार रिटर्न के बाद सोना आगे भी बाकी हाई-रिस्क एसेट्स से बेहतर प्रदर्शन करता रहेगा?

आइए गोल्ड की कीमत और डिमांड जैसे पहलुओं पर गौर करते हुए इस सवाल का जवाब जानते हैं।

रिटर्न में शेयर बाजार को छोड़ा पीछे


सोने की कीमतों ने 22 अप्रैल 2025 को अपना अब तक का उच्चतम स्तर छू लिया। इसने ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम का मनोवैज्ञानिक स्तर भी पार किया। पिछले अक्षय तृतीया (10 मई 2024) के समय सोना लगभग ₹72,000 पर था और 25 अप्रैल 2025 तक यह ₹95,000 के करीब पहुंच गया, यानी साल भर में 30 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न। वहीं, इस दौरान निफ्टी TRI (टोटल रिटर्न इंडेक्स) का रिटर्न 10.2% रहा।

1 साल में गोल्ड, निफ्टी, बिटकॉइन का रिटर्न

एसेट क्लास रिटर्न (%)
निफ्टी 50 TRI 10.20%
निफ्टी 500 TRI 7.70%
अंतरराष्ट्रीय सोना ($) 38.90%
घरेलू स्पॉट गोल्ड (₹) 30.70%
बिटकॉइन ($) 48.70%
घरेलू गोल्ड ईटीएफ 29.50%

नोट:

डेटा अवधि: 10 मई 2024 से 25 अप्रैल 2025
सभी कीमतें तुलनात्मक रूप से 100 से रीबेस की गई हैं।
TRI का मतलब है "Total Return Index"

सोर्स: ACE MF, Investing.com, MCX, Coingecko

क्या सोने की कीमतें और चढ़ेंगी?

इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने ने 25 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है। एनालिस्ट का कहना है कि दुनिया भर में बढ़ती अनिश्चितता के बीच सोना सबसे सुरक्षित निवेश माध्यम बनकर उभरा है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल में इंडिया हेड सचिन जैन ने हालिया नोट में कहा, "उपभोक्ता ज्यादा कैरेट वाले गहने, गोल्ड ETF, डिजिटल गोल्ड और सिक्कों में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। शादी और त्योहारी सीजन को देखते हुए गोल्ड की मांग मजबूत बनी रहने की संभावना है।"

दाम बढ़ने का डिमांड पर क्या असर हुआ?

कुछ कमोडिटी एक्सपर्ट मानते हैं कि सोने की लगातार बढ़ती कीमतें खरीदारी पर असर डाल सकती हैं। हालांकि, पिछले कुछ सत्रों में सोने की कीमत ₹1 लाख से गिरकर ₹94,600 प्रति 10 ग्राम (28 अप्रैल तक) आ चुकी है।

ट्रेडजिनी के COO त्रिवेश डी ने कहा, "यह गिरावट लंबे समय से चली आ रही तेजी के बाद एक हेल्दी करेक्शन लगती है। लेकिन अगर कीमतें फिर से ₹1 लाख के करीब जाती हैं, तो अक्षय तृतीया पर मांग 40-45% तक घट सकती है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि जौहरी लाइटवेट ज्वेलरी, एक्सचेंज स्कीम और एडवांस बुकिंग से करेंगे।

गोल्ड प्राइस पर किन फैक्टर का असर?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में वापसी के बाद बड़े पैमाने पर ट्रेड वॉर छेड़ी, जिससे दुनिया भर में अस्थिरता और अनिश्चितता का माहौल बना। इसका सबसे अधिक असर गोल्ड की कीमतों पर पड़ा।

क्वांटम म्यूचुअल फंड के CIO चिराग मेहता ने बताया, "डॉलर इंडेक्स इस साल की शुरुआत से अब तक 9% गिर चुका है। इससे निवेशक अमेरिकी एसेट्स, जैसे कि शेयर बाजार और बॉन्ड, से बाहर जा रहे हैं और गोल्ड में शरण ले रहे हैं।"

एक्सपर्ट का मानना है कि निकट भविष्य में सोने की कीमतें अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर से जुड़े घटनाक्रमों पर निर्भर करेंगी। निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के कमोडिटी प्रमुख विक्रम धवन ने कहा, "हालांकि ऊंची कीमतों के चलते भारत और चीन जैसे देशों में गहनों की मांग घट सकती है, लेकिन सेंट्रल बैंकों की खरीददारी नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रही है।"

क्या अभी गोल्ड की डिमांड बढ़ेगी?

निप्पॉन इंडिया के विक्रम धवन का कहना है कि ETF होल्डिंग्स अभी भी कोविड पीक से 20% नीचे हैं, और यह साल इस मोर्चे पर निर्णायक हो सकता है। इस साल सोने की कीमतों पर दो फैक्टर का काफी असर पड़ सकता है। पहला, निवेशकों द्वारा खरीदे जा रहे गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) और दूसरा, असली सोने (जैसे गहने, सिक्के आदि) की मांग। अगर इन दोनों में तेजी आती है, तो सोने की कीमतें और भी ऊपर जा सकती हैं।

कुछ बड़े वैश्विक बदलाव सोने को एक सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश बना सकते हैं। इसमें सबसे अहम De-dollarisation यानी डॉलर से दूरी और वैश्विक कर्ज का अस्थिर स्तर है।

  • De-dollarisation: यानी दुनिया के कई देश अब अमेरिकी डॉलर पर कम निर्भर होना चाहते हैं। जब डॉलर की अहमियत घटती है, तो निवेशक वैकल्पिक सुरक्षित संपत्तियों की ओर बढ़ते हैं- जैसे कि सोना।
  • वैश्विक कर्ज का अस्थिर स्तर: पूरी दुनिया में सरकारों और संस्थानों पर भारी कर्ज है। अगर यह कर्ज अस्थिर हो जाता है या वापस चुकाना मुश्किल हो जाता है, तो आर्थिक संकट की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे समय में लोग सोने को एक सुरक्षित विकल्प मानते हैं।

टेक्निकल और फंडामेंटल व्यू: गोल्ड का बुल रन बाकी है?

SAMCO Securities के रिसर्च हेड अपूर्व सेठ के अनुसार, SPX 500-to-Gold Ratio 10 साल के मूविंग एवरेज से नीचे चला गया है। ऐसा पिछले 50 साल में सिर्फ तीन बार हुआ है और हर बार गोल्ड में लंबा बुल रन शुरू हुआ है। इस रेशियो का मतलब है, अमेरिका के सबसे बड़े शेयर इंडेक्स (S&P 500) और सोने के बीच तुलना। यह रेशियो यह बताता है कि निवेशक शेयरों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं या सोने को।

इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की उपाध्यक्ष और ऐस्पेक्ट ग्लोबल वेंचर्स की चेयरपर्सन अक्ष कंबोज ने कहा, "गोल्ड काफी अहम मजबूत पोर्टफोलियो स्टेबलाइजर बना हुआ है। बेशक निकट अवधि में इसमें करेक्शन हो सकते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म नजरिया पॉजिटिव है। क्योंकि भू-राजनीतिक तनाव से निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं और यह चीज गोल्ड के हक में जा रही है।'

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