अगर आपको लगता है कि गोल्ड में तेजी खत्म हो गई है तो आपको एचएसबीसी की रिपोर्ट पढ़ने की जरूरत है। एचएसबीसी ने अपनी थिंक फ्यूचर्स 2026 रिपोर्ट में कहा है कि गोल्ड की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना है। इसकी वजह केंद्रीय बैंकों की तरफ से गोल्ड की खरीदारी है। इसके अलावा गोल्ड ईटीएफ में भी निवेश जारी रहेगा। इससे गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।
अक्टूबर में गोल्ड ने बनाया उंचाई का रिकॉर्ड
इस साल (2025) Gold ने करीब 54 फीसदी रिटर्न दिया है। अक्तूबर में गोल्ड की कीमतें 4,380 डॉलर प्रति औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी। उसके बाद मुनाफावसूली की वजह से यह गिरकर 3,885 डॉलर प्रति औंस पर आ गई। 24 नवंबर को स्पॉट गोल्ड 4,070.97 डॉलर प्रति औंस था। डॉलर इंडेक्स छह महीने के सबसे हाई लेवल पर है। डॉलर महंगा होने से दूसरी करेंसी में सोना खरीदना महंगा हो जाता है।
कंसॉलिडेशन के बाद गोल्ड पकड़ेगा रफ्तार
एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्ड की कीमतें अभी कंसॉलिडेशन के फेज में 4,000 डॉलर प्रति औंस के करीब चल रही हैं। शॉर्ट टर्म में कंसॉलिडेशन कुछ समय तक जारी रह सकता है। उसके बाद गोल्ड के फिर से रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। गोल्ड को केंद्रीय बैंकों की गोल्ड की डिमांड और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी से सपोर्ट मिलेगा। गोल्ड ईटीएफ में भी अच्छा निवेश जारी है।
केंद्रीय बैंकों के रिजर्व में बढ़ी गोल्ड की हिस्सेदारी
2022 से केंद्रीय बैंकों के रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़ी है। 2022 में उनके रिजर्व में यह हिस्सेदारी 13 फीसदी थी, जो 2025 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 22 फीसदी हो गई। इस दौरान गोल्ड की कीमतें 2,000 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 4,000 डॉलर के पार निकल गई। यह करीब 125 फीसदी का उछाल है।
केंद्रीय बैंकों की गोल्ड की डिमांड बनी रहेगी
एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्ड की कीमतों में तेजी में केंद्रीय बैंकों के रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़ने का बड़ा हाथ है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंकों की तरफ से गोल्ड की खरादारी जारी रहने की उम्मीद है। इससे गोल्ड की कीमतें ऊंचे लेवल पर बनी रहेंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 के मध्य से गोल्ड ईटीएफ की मांग काफी मजबूत है। गोल्ड ईटीएफ गोल्ड खरीदे बगैर गोल्ड में निवेश की सुविधा देता है।