Pets Affect on Property Price: बेंगलुरु, एक ऐसा शहर जहां सुबह पार्कों में जितने लोग मिलते हैं, उतने ही कुत्ते और बिल्लियां भी घूमते दिख जाते हैं। कैफे में पेट्स-फ्रेंडली मेन्यू, कॉलोनी में हर दूसरे घर में एक बीगल या लैब्राडोर और पेट्स की बर्थडे पार्टी सब होता है। बेंगलुरु में पेट्स परिवार का हिस्सा हैं। लेकिन जैसे ही किराये का एग्रीमेंट बनता है, पालतू जानवरों से प्यार अचानक महंगा हो जाता है। बेंगलुरु में किरायेदारों से हर महीने अलग से पेट्स रेंट लिया जा रहा है। ये पेट्स रेंट 1000 रुपये से 2000 रुपये तक पहुंच चुका है।
कैसे शुरू हुआ पेट्स रेंट का यह नया ट्रेंड?
यह कोई एक दिन में लिया गया फैसला नहीं था। शुरुआत हुई कोरमंगला और एचएसआर लेआउट से जहां कुछ युवा मकान मालिकों ने कहा कि पेट्स से घर को ज्यादा नुकसान होता है। फिर यह खबर इंडिरानगर, बेलंदूर और व्हाइटफील्ड तक फैल गई। ब्रोकर बातचीत में चुपके से एक लाइन जोड़ने लगे कि पेट्स ठीक है, पर पेट्स के लिए 1500 रुपये एक्स्ट्रा लगेगा। साथ ही कहा जाता है कि ये सफाई का खर्च है। धीरे-धीरे यह इतना आम हो गया कि आज 2BHK ढूंढने से पहले ही पूछा जाने लगा कि पेट्स है क्या? हां है? तो एक्स्ट्रा किराया लगेगा।
मकान मालिक किस खर्च का हवाला देते हैं?
जब उनसे पूछा गया कि यह पेट्स रेंट किस बात का है, तो लगभग सभी जवाब एक जैसे मिले। जैसे डीप क्लीनिंग, दीवारें और दरवाजे दोबारा पेंट करना, फर और गंध की वजह से सफाई, बालकनी में दाग, शोर या पड़ोसी की शिकायत, लकड़ी के फ्रेम या फर्नीचर पर स्क्रैच आदि। हालांकि कई किरायेदार कहते हैं कि यह डर अधिक है, नुकसान कम। हर पेट्स नुकसान नहीं करते, लेकिन नियम सब पर लागू कर दिया जाता है।
सिर्फ रेंट ही नहीं, पेट्स पेरेंट्स पर और भी शर्तें
अतिरिक्त रेंट के अलावा बेंगलुरु में पेट्स पैरेंट्स अक्सर ऐसे नियम झेल रहे हैं, जो कभी-कभी अजीब भी लगते हैं। जैसे
नॉन-रिफंडेबल पेट्स डिपॉजिट
लिफ्ट में पेट्स को गोद में लेकर चलने की शर्त
कॉमन एरिया में पेट्स ले जाने की मनाही
पेट्स का शोर होने पर फाइन
कानून के अनुसार किसी भी राज्य में पेट्स रखने पर सीधा बैन नहीं लगाया जा सकता। हाउसिंग सोसाइटी ब्रीड या साइज आधार पर पालतुओं को रोक नहीं सकती। लेकिन प्राइवेट मकान मालिक अपने एग्रीमेंट में क्लॉज डाल सकते हैं। आप साइन करते हैं, तो नियम मानने ही पड़ते हैं। इसी खाली जगह में ही पेट्स रेंट, पेट्स डिपॉजिट और एक्स्ट्रा चार्जेस का खेल शुरू हो जाता है।
सबसे मुश्किल - बैचलर्स + पेट्स = नहीं मिलेगा घर
बेंगलुरु में बैचलर्स को घर मिलना वैसे ही कठिन है। लेकिन बैचलर + पेट्स = मकान मालिकों की नजर में सीधी रेड फ्लैग। कोरमंगला की एक लड़की ने बताया कि पेट्स शब्द सुनते ही कई लैंडलोर्ड ने बातचीत बंद कर दी।
बेंगलुरु पालतुओं से प्यार करता है, पर रेंट मार्केट डर से चलता है। शहर के लोग पेट्स को बेहद प्यार करते हैं लेकिन किराये का सिस्टम प्यार नहीं, नियम देखता है। बढ़ते पेट्स पैरेंट्स के कारण landlords अब इसे या तो कमाई का रास्ता मानते हैं।