कोविड ने दुनियाभर में कामकाज के तरीके को बदल दिया था। सबसे बड़ा बदलाव एंप्यलीज को घर से काम करने की सुविधा थी। इसे वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) कहा गया। कोविड की महामारी खत्म होने के बाद एंप्लॉयीज फिर से ऑफिस में कामकाज करने लगे हैं। लेकिन, कई सेक्टर्स में अभी वर्क फ्रॉम होम जारी है। ऑपरेशनल कॉस्ट में कमी जैसे इसके कई फायदे हैं। इस वजह से नए लेबर कोड्स में डब्ल्यूएफएच के बारे में भी नियम शामिल हैं।
वर्क फ्रॉम होम को मान्यता
New Labour Codes में कहा गया है कि सर्विस सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम किया जा सकता है। इसके लिए एंप्लॉयी और एंप्लॉयर के बीच एग्रीमेंट होना चाहिए। मैटरनिटी लीव लेने वाली महिलाएं भी घर से काम कर सकती हैं। नए लेबर कोड्स में घर से काम करने के तरीके को मान्यता मिलने से डब्ल्यूएफएच कर रहे एंप्लॉयीज के बीच नौकरी जाने का डर खत्म होगा।
नए श्रम कानूनों में ओवरटाइम के मसले का भी ध्यान रखा गया है। इसके मुताबिक, अगर एंप्लॉयीज काम के तय घटों से ज्यादा काम करते हैं तो एंप्लॉयर को ओवरटाइम कंपनसेशन देना होगा। ओवरटाइम का रेट नॉमर्ल वेज का दोगुना होगा। पहले से लागू हर तिमाही 75 घंटे की ओवरटाइम लिमिट हटा दी गई है। राज्य सरकारें इसकी ज्यादा लिमिट तय कर सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ओवरटाइम के नए नियम से उन एंप्लॉयीज को फायदा होगा, जो एक्स्ट्रा इनकम चाहते हैं।
एंप्लॉयीज का फ्री मेडिकल चेकअप
सरकार ने नए लेबर कोड्स में एंप्लॉयीज के हित में एक बड़ा फैसला किया है। एंप्लॉयर्स को ऐसे एंप्लॉयीज को साल में एक बार फ्री हेल्थ चेकअप की सुविधा देनी होगी, जिनकी उम्र 40 साल से ज्यादा है। एंप्लॉयीज को एंप्लॉयीज के बीच प्रिवेंटिव केयर को भी बढ़ावा देना होगा। अभी कुछ कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को यह सुविधा देती हैं। अब सभी कंपनियों को यह सुविधा देनी होगी।
अब ESIC का कवरेज सिर्फ नोटिफायड एरिया तक सीमित नहीं होगा। यह पूरे देश में लागू होगा। यह प्लांटेशंस, छोटे और उन यूनिट्स पर भी लागू होगा, जिन्हें जोखिमभरा माना जाता है। गिग वर्कर्स के हित में कई फैसले नए लेबर कोड में लिए गए हैं। इनमें से एक अहम फैसला यह है कि अगर घर से वर्कप्लेस के बीच एक्सीडेंट होता है तो उसे एंप्लॉयमेंट से संबंधित एक्सीडेंट माना जाएगा। फिर, एंप्लॉयी कंपनसेशन को हकदार होगा।