केंद्र सरकार ने नया सोशल सिक्योरिटी कोड (सीएसएस) लागू कर दिया है। इसके बावजूद ईपीएफ एक्ट का वजूद बना रहेगा। सीएसएस के सेक्शन 164 (3) एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड एंड मिसलिनियस प्रोविजंस एक्ट, 1952 या ईपीएफ एक्ट को निरस्त करने का प्रावधान है। लेकिन, सरकार ने अभी इस क्लॉज को नोटिफाय नहीं किया है।
अभी ईपीएफ एक्ट का क्लाज नोटिफाय नहीं
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने मनीकंट्रोल को बताया, "सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत ईपीएफ एक्ट के क्लॉज को नोटिफाय नहीं किया गया है। हालांकि, पहले लेबर कोड को नोटिफाय करने के साथ इस एक्ट को उसमें शामिल करने के बारे में सोचा गया था।" एक दूसरे सूत्र ने बताया कि लेबर मिनिस्ट्री अभी सोशल सिक्योरिटी कोड को ऑपरेशनल करने के लिए नियम और गाइडलाइंस जारी कर रहा है।
ऑपरेशनल होने में कुछ हफ्तों का लग सकता है समय
उन्होंने कहा, "ये नियम 9 सोशल सिक्योरिटी लॉज के मुताबिक होंगे, जिनमें ईपीएफ एक्ट शामिल है। इन्हें फाइनल करने में कुछ हफ्तों का समय लग सकता है।" एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड एंड मिसलिनियस प्रोविजंस एक्ट, 1952 से तीन सोशल सिक्योरिटी स्कीम को कानूनी दर्जा मिलता है। इनमें एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड स्कीम (ईपीएफ), 1952, एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS), 1995 और एंप्लॉयीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (ईडीएलआई), 1976 शामिल हैं।
ईपीएफ स्कीम में हर महीने कंट्रिब्यूशन
ईपीएफ स्कीम एक रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है, जिसमें एंप्लॉयर और एंप्लॉयी दोनों कंट्रिब्यूट करते हैं। यह हर महीने एंप्लॉयी के बेसिक सैलरी का 12 फीसदी होता है। ईपीएस एक पेंशन स्कीम है, जिससे रिटायरमेंट के बाद एंप्लॉयी को हर महीने पेंशन मिलती है। EDLI स्कीम से ईपीएफ स्कीम के मेंबर्स को इंश्योरेंस कवर मिलता है।
21 नवंबर को सोशल सिक्योरिटी कोड लागू
सरकार ने 21 नवंबर को कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी को नोटिफाय कर दिया। इससे सोशल सिक्योरिटी से जुड़े 8 मौजूदा कानून खत्म हो गए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी (CSS) के नोटिफाय किए गए सेक्शंस में एक बड़ा सगेमेंट है, जो प्रोविडेंट फंड स्कीम और उसके प्रावधानों से जुड़ा है। इसमें केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह रिटायरमेंट के बाद पेंशन, रिटायरिंग पेंशन, विडॉ या विडॉअर पेंशन आदि के लिए एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड स्कीम बनाने के लिए नोटिफिकेशंस इश्यू कर सकती है।
सरकार आगे जारी करेगी नोटिफिकेशन
जेएसए एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स की पार्टनर सोनाक्षी दास ने कहा, "चूंकि प्रोविडेंट फंड से जुड़े ज्यादातर सेक्शंस का ऑपरेशनल इंप्लिमेंटेशंस उन नोटिफिकेशंस से लिंक्ड हैं, जिन्हें अभी रिलीज होना बाकी है, जिसे एंप्लॉयीज को एप्रोप्रिएट स्कीम और सोशल सिक्योरिटी कंट्रिब्यूशंस से संबंधित पहलुओं के लिए केंद्र सरकार के नोटिफिकेशंस पर नजर बनाए रखने की जरूरत है। "