भारत में अब ई-कॉमर्स कंपनियां केवल ऑनलाइन शॉपिंग तक सीमित नहीं रहना चाहतीं, बल्कि फाइनेंशियल सर्विसेज में भी तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। Amazon जल्द ही देश के छोटे कारोबारियों को लोन देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उसने इस साल बेंगलुरु की नॉन-बैंक लेंडिंग कंपनी Axio को खरीदा था। अब Axio फिर से छोटे बिजनेस के लिए कर्ज देने और उनके पैसे के मैनेजमेंट के नए समाधान शुरू करने जा रही है।
कंपनी का कहना है कि वह कारोबारियों के लिए उनकी जरूरत के मुताबिक खास लोन प्लान तैयार करेगी, ताकि उनका कैश फ्लो बेहतर हो सके और उन्हें पूंजी की कमी न रहे।
दूसरी तरफ Walmart के स्वामित्व वाली Flipkart भी अपनी खुद की लेंडिंग कंपनी- Flipkart Finance- के जरिए 'बाय नाउ, पे लेटर' और किस्तों पर लोन जैसी सेवाएं शुरू करने की तैयारी में है।
इसके लिए Flipkart RBI की अंतिम मंजूरी का इंतजार कर रही है। कंपनी 3 से 24 महीने तक की बिना ब्याज वाली ईएमआई और महंगे सामानों के लिए 18% से 26% सालाना ब्याज पर लोन देने की योजना बना रही है।
भारत में कंज्यूमर लोन का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जो 2020 के 80 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 212 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। UPI पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ऐप्स में Amazon और Flipkart दोनों शामिल हैं, जिससे इनके पास ग्राहकों का बड़ा डेटा बेस तैयार है।
इसी साल RBI ने ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी 100% स्वामित्व वाली यूनिट्स के जरिए सीधे ग्राहकों को लोन देने की इजाजत दी है, जिससे इनके लिए वित्तीय बाजार में उतरना आसान हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों कंपनियों के पास ग्राहक डेटा होने की वजह से वे इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं, हालांकि सफलता उनके सही तरीके से इस नए क्षेत्र में काम करने पर निर्भर करेगी।
Amazon ने कुछ स्थानीय बैंकों और लेंडर्स के साथ मिलकर Amazon Pay पर सिर्फ 1,000 रुपये से फिक्स्ड डिपॉजिट की सुविधा भी शुरू कर दी है। इससे साफ है कि दोनों कंपनियां बैंकिंग और फाइनेंस की दुनिया में बड़ा कदम रखने जा रही हैं, और आने वाले समय में ग्राहकों को ऑनलाइन शॉपिंग के साथ कई नए वित्तीय विकल्प भी मिलने वाले हैं।