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LGBTQ समुदाय का शख्स खोल सकता है ज्वाइंट बैंक एकाउंट, फाइनेंस मिनिस्ट्री ने जारी की एडवाइजरी

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा है कि LGBTQ समुदाय के लिए ज्वाइंट बैंक एकाउंट खोलने पर कोई पाबंदी नहीं है। साथ ही, ऐसे किसी शख्स को नॉमिनी भी बनाया जा सकता है। मिनिस्ट्री ने इस सिलसिले में एडवाइजरी जारी की है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने 28 अगस्त को जारी एडवाइजरी में कहा कि LGBTQ समुदाय के लिए बैंक में ज्वाइंट एकाउंट खोलने पर कोई पाबंदी नहीं है और वह शख्स उस शख्स को नॉमिनी भी बना सकता है, जिसके साथ वह रिलेशनशिप में है

अपडेटेड Aug 29, 2024 पर 10:48 PM
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एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि रिजर्व बैंक (RBI) ने 21 अगस्त 2024 को इस सिलसिले में सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों को स्पष्टीकरण जारी किया था।

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा है कि LGBTQ समुदाय के लिए ज्वाइंट बैंक एकाउंट खोलने पर कोई पाबंदी नहीं है। साथ ही, ऐसे किसी शख्स को नॉमिनी भी बनाया जा सकता है। मिनिस्ट्री ने इस सिलसिले में एडवाइजरी जारी की है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने 28 अगस्त को जारी एडवाइजरी में कहा कि LGBTQ समुदाय के लिए बैंक में ज्वाइंट एकाउंट खोलने पर कोई पाबंदी नहीं है और वह शख्स उस शख्स को नॉमिनी भी बना सकता है, जिसके साथ वह रिलेशनशिप में है।

समलैंगिंकों (गे और लेस्बियन), बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर (LGBT) समुदाय के लिए यह एडवाइजरी सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को ध्यान में रखते हुए जारी की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रिया चक्रवर्ती और अन्य बनाम केंद्र सरकार (जनहित याचिका केस नंबर 1011/2022) के मामले में 17 अक्टूबर, 2023 को यह आदेश दिया था।

फाइनेंस मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज की तरफ से जारी एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि रिजर्व बैंक (RBI) ने 21 अगस्त 2024 को इस सिलसिले में सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों को स्पष्टीकरण जारी किया था। रिजर्व बैंक ने 2015 में सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि वे अपने सभी फॉर्म और ऐप्लिकेशन में 'थर्ड जेंडर' कॉलम भी शामिल करें, ताकि तीसरे लिंग वालों को बैंक खाता खोलने और संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिल सके। 2015 के इस ऑर्डर के बाद कई बैंकों ने ट्रांसजेंडर से जुड़ी सेवाओं की शुरुआत की।


ESAF स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड ने 2022 में खास तौर पर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए 'रेनबो सेविंग्स एकाउंट' की शुरुआत की थी, जिसमें कई तरह की सुविधाएं थीं, मसलन हाई सेविंग रेट, एडवांस डेबिट कार्ड सुविधाएं आदि। सुप्रीम कोर्ट के 17 अक्टूबर 2023 के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने अप्रैल 2024 में कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुवाई में 6 सदस्यों की कमेटी बनाई थी, जिसका मकसद LGBT समुदाय से जुड़ी समस्याओं की पड़ताल करना था।

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