Gold Loan कारोबार में उल्लंघन पाने पर क्या दूसरी कंपनियों पर भी RBI लेगी एक्शन? IIFL पर भी हो चुकी है कार्रवाई

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 269SS के अनुसार 20,000 रुपये से अधिक कैश जमा या लोन की अनुमति नहीं है उल्लंघन पर धारा 271डी के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है, जो लोन या जमा राशि के बराबर हो सकता है

अपडेटेड Mar 23, 2024 पर 5:38 PM
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से हाल ही में आईआईएफएल फाइनेंस को गोल्ड लोन की मंजूरी या डिसबर्स बंद करने का निर्देश दिया गया था।

Gold Loan Business: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से हाल ही में आईआईएफएल फाइनेंस को गोल्ड लोन की मंजूरी या डिसबर्स बंद करने का निर्देश दिया गया था। आरबीआई की ओर से गोल्ड लोन देने में कुछ खामियां पाई गई थी, जिसके बाद आरबीआई की ओर से आईआईएफएल फाइनेंस पर एक्शन लिया गया था। वहीं हाल ही में लिए गए आरबीआई के एक्शन के बाद कई अन्य एनबीएफसी के स्टॉक्स में दबाव देखने को मिला है और उनमें गिरावट देखी जा रही है। इनमें से कुछ स्टॉक्स तो ऐसे भी हैं, जो कि फरवरी के बाद से कुछ ही दिनों में 40% तक टूट गए हैं। दरअसल, जानकारों का मानना है कि आरबीआई गोल्ड लोन कारोबार के लिए अन्य एनबीएफसी पर भी जांच बैठा सकती है।

आरबीआई की कार्रवाई

हालिया आदेश के बाद जहां आरबीआई ने एनबीएफसी आईआईएफएल फाइनेंस को नए गोल्ड लोन देने से रोक दिया है, वहीं सूत्रों का कहना है कि अन्य कंपनियों पर भी आरबीआई की कार्रवाई देखने को मिल सकती है। अन्य एनबीएफसी के आरबीआई की जांच के दायरे में आने की संभावना है। अधिकांश इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि कैश में लोन देना उद्योग में एक सामान्य मानदंड के रूप में देखा जाता है। मुथूट फाइनेंस, कापरी ग्लोबल, बजाज फिनसर्व, मन्नापुरम फाइनेंस जैसे अन्य खिलाड़ी भी इसी तरह के अभ्यास का पालन करने के लिए रडार पर आ सकते हैं।


इनकम टैक्स एक्ट

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 269SS के अनुसार 20,000 रुपये से अधिक कैश जमा या लोन की अनुमति नहीं है। उल्लंघन पर धारा 271डी के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है, जो लोन या जमा राशि के बराबर हो सकता है।

कैश लेनदेन

सूत्रों का कहना है कि RBI ने न केवल IIFL बल्कि अन्य NBFC को भी 20,000 रुपये से अधिक का कैश लोन देते हुए पाया है और कुछ मामलों में यह 1 लाख से अधिक भी रहा है। सूत्रों की मानें तो हाल के वर्षों में गोल्ड लोन कारोबार में एंट्री करने वाली कुछ कंपनियों ने अपने गोल्ड लोन कारोबार की ह्यूमन कैपिटल पूरी तरह से पूर्व आईआईएफएल गोल्ड लोन कर्मचारियों से बनाई है। उन्होंने आईआईएफएल फाइनेंस के गोल्ड लोन कारोबार में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और दस्तावेजों की भी नकल की है। सूत्रों के मुताबिक इसमें कापरी ग्लोबल, मुथूट, मन्नापुरम का नाम भी सामने आया है।

वहीं कई एनबीएफसी अभी भी कैश में गोल्ड लोन का लाखों रुपये का कारोबार कर रहे हैं और लाखों रुपये कैश में दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें कापरी ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड जैसी कंपनियां भी शामिल बताई जा रही हैं, जिन्होंने लाखों रुपये में कैश गोल्ड लोन लोगों को जरूरी नियमों को ताक पर रख कर उपलब्ध करवाए हैं। वहीं साल 2024 में एक ही महीने में कापरी ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड के शेयर प्राइज में 40% तक की गिरावट देखने को मिली है। शेयर के दाम फरवरी 2024 में 289 रुपये के करीब थे, वहीं अब शेयर की कीमत 200 रुपये तक आ चुकी है। शुक्रवार को शेयर ने 202 रुपये के भाव के आसपास क्लोजिंग दी थी।

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 269SS क्या है?

कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से अकाउंट पेयी चेक या अकाउंट पेयी बैंक ड्राफ्ट या बैंक खाते के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम के उपयोग के माध्यम से लोन या डिपॉजिट या कोई अन्य निर्दिष्ट राशि स्वीकार नहीं कर सकता है, यदि-

1. लोन या डिपॉजिट राशि या निर्दिष्ट राशि 20,000 रुपये या अधिक है।

2. लोन, डिपॉजिट और निर्दिष्ट राशि की कुल राशि 20,000 रुपये या अधिक है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति अपने दोस्त से 6,000 रुपये का लोन, 9000 रुपये की जमा राशि और 7000 रुपये का एडवांस लेना चाहता है, लेकिन वह इसे कैश में स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि कुल राशि 22,000 रुपये है।

3. ऐसे मामले में जहां किसी व्यक्ति को जमाकर्ता से पहले ही लोन, डिपॉजिट या निर्दिष्ट राशि प्राप्त हो चुकी है, लेकिन लोन या डिपॉजिट या निर्दिष्ट राशि का भुगतान नहीं किया गया है, ऐसे मामले में यदि अवैतनिक लोन या डिपॉजिट या निर्दिष्ट राशि 20,000 रुपये या इससे अधिक है।

4. (1), (2), और (3) की कुल राशि 20,000 रुपये या अधिक है। इसलिए, कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से 20,000 रुपये या अधिक का नकद लोन या डिपॉजिट स्वीकार नहीं कर सकता है।

धारा 269SS के अपवाद

- सरकार।

- कोई भी बैंकिंग कंपनी, डाकघर बचत बैंक, या सहकारी बैंक।

- केंद्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम द्वारा स्थापित निगम।

- कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खंड (45) में परिभाषित कोई भी सरकारी कंपनी।

- सरकारी राजपत्र में अधिसूचित कोई संस्था या निकाय या संस्थाओं का वर्ग।

RBI ने IIFL पर इन कारणों से लिया था एक्शन

- आरबीआई ने कहा कि वैधानिक सीमा से अधिक कैश वितरण और संग्रह देखा गया।

- मानक नीलामी प्रक्रिया का पालन न करना।

- ग्राहक खातों के शुल्क में पारदर्शिता का अभाव।

- केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये प्रथाएं न केवल नियामक उल्लंघन हैं बल्कि ग्राहकों के हितों पर भी महत्वपूर्ण और प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

डिस्क्लेमर: यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

MoneyControl News

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First Published: Mar 23, 2024 5:32 PM

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