वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से डिपॉजिट बढ़ाने पर जोर देने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को डिपॉजिट बढ़ाने के लिए इनोवेटिव टूल्स का इस्तेमाल करना होगा। साथ ही मार्केट में उपलब्ध दूसरे इनवेस्टमेंट्स प्रोडक्ट्स से मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि बैंकों के एग्जिक्यूटिव्स को अब कोर एक्टिविटी पर फोकस बढ़ाना होगा। वित्तमंत्री ने कहा है कि छोटे डिपॉजिट हासिल करना बैंकों का सबसे जरूरी काम है। यह मुश्किल और नीरस हो सकता है। लेकिन, बैंकों की इनकम के लिए यह सबसे जरूरी है। इससे पहले आरबीआई ने बैंकों को डिपॉजिट बढ़ाने के लिए इनोवेटिव तरीकों का इस्तेमाल करने को कहा था।
आरबीआई कम डिपॉजिट ग्रोथ पर चिंता जता चुका है
आरबीआई ने 8 अगस्त को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी पेश की थी। इसमें गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों में डिपॉजिट की कम ग्रोथ पर चिंता जताई थी। उन्होंने इसे बैंकों की लिक्विडिटी के लिए संभावित रिस्क बताया था। उन्होंने कहा था कि इनवेस्टमेंट्स के दूसरे प्रोडक्ट्स ग्राहकों को ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहे हैं। इससे बैंकों को फंडिंग के मोर्चे पर चैलेंजेज का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ लोन ग्रोथ से कम हो गई है।
बैंकों को इनोवेटिव प्रोडक्ट्स पर फोकस बढ़ाना होगा
शक्तिकांत दास ने यह भी कहा था कि बैंक क्रेडिट डिमांड पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट और दूसरे इंस्ट्रेमेंट्स की मदद ले रहे हैं। उन्होंने कहा था, "इससे बैंकों के लिए स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी इश्यू से जुड़े रिस्क पैदा हो सकते हैं। बैंक इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सर्विस ऑफरिंग्स के जरिए हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग्स बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। वे अपने बड़े ब्रांच नेटवर्क का पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं।" संभावना है कि वित्तमंत्री सरकारी बैंकों के प्रमुखों से डिपॉजिट बढ़ाने के मसले पर जल्द बातचीत करेंगी।
पिछले 6 महीनों में बढ़ा है डिपॉजिट
बैंकों को डिपॉजिट जुटाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, हालिया डेटा बताते हैं कि बीते कुछ महीनों में डिपॉजिट बढ़ा है। रेटिंग एजेंसी CARE की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 3-6 महीनों में क्रेडिट ग्रोथ डिपॉजिट ग्रोथ से कम रही है। यह ट्रेंड बदलने का संकेत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते छह महीनों में क्रेडिट ऑफटेक 8.4 लाख करोड़ रुपये और 3 महीनों में 3.8 लाख करोड़ रुपये बढ़ा। यह इसी अवधि में क्रमश: 11.9 लाख करोड़ और 7 लाख करोड़ की डिपॉजिट ग्रोथ से कम है।
बैंक डिपॉजिट बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं?
बैंकों को इंटरेस्ट रेट बढ़ाने होंगे। अभी बड़े बैंक दो से तीन साल के डिपॉजिट पर 7-7.5 फीसदी इंटरेस्ट ऑफर कर रहे हैं। कुछ स्मॉल फाइनेंस बैंक सीनियर सिटीजंस को 15 महीनों तक के डिपॉजिट पर 9 फीसदी तक इंटरेस्ट ऑफर कर रहे हैं। Equitas Small Finance Bank 444 दिन के एफडी पर 9 फीसदी इंटरेस्ट रेट दे रहा है। Ujjivan Small Finance Bank 12 महीने के एफडी पर 8.75 फीसदी इंटरेस्ट ऑफर कर रहा है।
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लोग ज्यादा रिटर्न के लिए दूसरे इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स में कर रहे निवेश
बैंकों को डिपॉजिटर्स को अट्रैक्ट करने के लिए ऑफर बढ़ाने होंगे। अब लोग ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड्स और ऐसे दूसरे फिजिकल एसेट्स में निवेश कर रहे हैं। टैक्स चुकाने और इनफ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद बैंकों से मिलने वाला रिटर्न बहुत कम रह जाता है। उधर, म्यूचुअल फंड का रिटर्न काफी ज्यादा है। बैंकों को ग्राहकों को अट्रैक्ट करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी बढ़ाना होगा। वे अब सिर्फ फिजिकल ब्रांच और एग्रेसिव कैंपेन के भरोसे नहीं रह सकते। बैंकों के पास डिपॉजिट बढ़ाने के लिए ज्यादा इंटरेस्ट रेट ऑफर करने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है।