कई बार पुराने या अनुपयोगी बैंक अकाउंट को बंद करने का मन करता है, लेकिन जल्दबाजी में लोग अनजाने चार्ज और परेशानियों के जाल में फंस जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि मिनिमम बैलेंस न होने पर पेंडिंग फीस कट सकती है या कार्ड रिटर्न न करने पर एक्स्ट्रा पेनल्टी लगेगी? RBI के नियमों के बावजूद बैंक अपनी पॉलिसी से क्लोजर चार्ज वसूलते हैं, इसलिए पहले पूरी तैयारी जरूरी है। लाखों ग्राहक हर साल इसी गफलत में फंसते हैं।
क्लोजर से पहले ये चार्ज चेक करें
बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस शॉर्टफॉल का पुराना बकाया तोड़ सकते हैं, जैसे SBI में 500 रुपये + GST। क्रेडिट/डेबिट कार्ड, चेकबुक या SMS सर्विस के पेंडिंग चार्ज भी कटेंगे। जॉइंट अकाउंट में सभी की सहमति चाहिए, वरना प्रोसेस रुक जाता है। निजी बैंक जैसे HDFC 6-12 महीने में 500-1000 रुपये लेते हैं, जबकि सरकारी बैंक 1 साल बाद अक्सर फ्री करते हैं। हमेशा लिखित में चार्ज लिस्ट मांगें।
- ऑटो-डेबिट कैंसल: SIP, EMI, इंश्योरेंस सब डी-लिंक करें, वरना बाउंस चार्ज लगेगा।
- बैलेंस जीरो: नेगेटिव बैलेंस क्लियर करें, बाकी रकम दूसरे अकाउंट ट्रांसफर या कैश निकालें (20,000 तक)।
- फॉर्म भरें: ब्रांच जाएं, क्लोजर फॉर्म में वजह बताएं, अप्रयुक्त चेकबुक/कार्ड जमा करें।
- KYC वेरिफाई: आधार-PAN से ID चेक होगा, नया अकाउंट डिटेल दें जहां बैलेंस जाए।
14 दिन या 1 साल बाद क्लोजर ज्यादातर फ्री, लेकिन बीच में चार्ज संभव।
खाता बंद होने के बाद PAN लिंकिंग या UPI डी-एक्टिवेशन की समस्या हो सकती है। पुरानी स्टेटमेंट्स डाउनलोड कर लें। RBI कहता है बिना पेनल्टी निष्क्रिय खाते सक्रिय करें, लेकिन क्लोजर में बैंक फीस ले सकते हैं। सैलरी अकाउंट बदलते समय नोटिस दें। स्मार्ट तरीके से प्लान करें तो नुकसान-न-जानकारी से बचाव होगा।