LIC और SBI Life एजेंट्स का कमीशन होगा कम! इंश्योरेंस इंडस्ट्री के इस मॉडल ने दिया शॉक

देश में इंश्योरेंस सेक्टर को रेगुलेट करने वाली संस्था इरडा (IRDA) ने बीमा कंपनियों को लागत घटाने के रास्ते निकालने को कहा है। इसे लेकर ही इंश्योरेंस इंडस्ट्री एक कमेटी बनाकर प्रस्ताव तैयार कर रही है। अभी जो सामने आया है, उसके मुताबिक पहली नजर में दिख रहा है कि LIC जैसी कंपनियां एजेंट्स को मिलने वाले कमीशन में कटौती कर सकती हैं

अपडेटेड Dec 13, 2025 पर 11:36 AM
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नए मॉडल पर चर्चा को लेकर जो कमेटी बनी है, उसके सदस्यों ने सर्वसम्मति से डिफर्ड कमीशन मॉडल अपनाने की सिफारिश की है।

लाइफ और जनरल इंश्योरेंस सेक्टर की कंपनियां डिस्ट्रीब्यूशन और कमीशन की ऊंची लागत को कम करने के लिए कदम उठा रही हैं। सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री फ्रंट-लोडेड कमीशन वाले मॉडल की बजाय नए मॉडल को अपनाने को लेकर काम कर रही है। इस उद्देश्य को लेकर इंडस्ट्री के सीनियर एग्जीक्यूटिव और डिस्ट्रीब्यूशन पार्टनर्स की नौ सदस्यों की एक कमेटी बनी है और इसकी पहली बैठक इस हफ्ते हुई है। इस कमेटी का मकसद उन तरीकों की तलाश है, जिनसे डिस्ट्रीब्यूशन और कमीशन की लागत कम हो। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब बीमा नियामक संस्था IRDA ने बीमा कंपनियों पर खर्चों को कम करने और इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को अधिक किफायती बनाने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इरडा ने इसे लेकर लाइफ और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।

LIC जैसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की नजर डेफर्ड कमीशन मॉडल पर

नए मॉडल पर चर्चा को लेकर जो कमेटी बनी है, उसके सदस्यों ने सर्वसम्मति से डिफर्ड कमीशन मॉडल अपनाने की सिफारिश की है। इसके तहत कमीशन का बड़ा हिस्सा पहले ही साल में देने की बजाय इसे शुरुआती वर्षों में बांटकर दिया जाए। इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि 20 साल की टर्म पॉलिसी में पहले साल का कमीशन प्रीमियम का लगभग 8% रखा जा सकता है और कमीशन को पांच वर्षों में बांटकर दिया जाए और यह पेमेंट तभी हो जब पॉलिसी हर साल रिन्यू हो। इस प्रकार जिस मॉडल की सिफारिश की गई हैं, उसमें मौजूदा पहले साल 40% कमीशन की जगह हर साल छोटी-छोटी किश्तों में कमीशन होगा। इस मामले में कमेटी की अगले हफ्ते फिर बैठक होने वाली है। यह 18 दिसंबर तक अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देकर इरडा को विस्तृत प्रस्ताव सौंपेगी।


जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस के लागत पर भी कड़ी निगरानी

इरडा ने जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस के डिस्ट्रीब्यूशन खर्च और ओवरऑल मैनेजमेंट कॉस्ट पर भी निगरानी कड़ी कर दी है। इरडा ने कंपनियों से पिछले पांच साल के आंकड़े मांगे हैं ताकि ट्रेंड्स का आकलन किया जा सके और लागत घटाने के रास्तों की पहचान हो सके। अभी के नियमों के हिसाब से जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के लिए मैनेजमेंट कॉस्ट की सीमा ग्रास रिटेन प्रीमियम का 30% और स्टैंडएलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के लिए 35% निर्धारित है। कुछ इंडस्ट्री प्लेयर्स ने पांच वर्ष से अधिक पुरानी कंपनियों के लिए इस लिमिटड को 5-10% तक घटाने का सुझाव रखा है।

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