Gold Prices: 2025 में अब तक 65% चढ़ा सोना, अब 2026 में कितना मिल सकता है रिटर्न?

Gold Prices: मौजूदा साल 2025 सोने के लिए पिछले कई दशकों के सबसे शानदार साल में से एक साबित हुआ। इस साल सोने ने 50 से ज्यादा बार नया ऑल-टाइम हाई बनाया और निवेशकों को करीब 65 फीसदी का जबरदस्त रिटर्न दिया। वहीं चांदी ने सोने से भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 1971 के बाद का अपना सबसे अच्छा साल दर्ज किया

अपडेटेड Dec 13, 2025 पर 11:19 PM
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Gold Prices: भारत में सोना और चांदी अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले ज्यादा महंगे हुए हैं

Gold Prices: मौजूदा साल 2025 सोने के लिए पिछले कई दशकों के सबसे शानदार साल में से एक साबित हुआ। इस साल सोने ने 50 से ज्यादा बार नया ऑल-टाइम हाई बनाया और निवेशकों को करीब 65 फीसदी का जबरदस्त रिटर्न दिया। वहीं चांदी ने सोने से भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 1971 के बाद का अपना सबसे अच्छा साल दर्ज किया। हालांकि, एनालिस्ट्स का मानना है कि 2026 में सोने की आगे की चाल भू-राजनीतिक जोखिमों, सेंट्रल बैंकों और ETF की खरीद, ग्लोबल आर्थिक हालात और डॉलर की दिशा पर निर्भर करेगी।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में साल की शुरुआत यानी 1 जनवरी 2025 को सोने की कीमत करीब 2,600 डॉलर प्रति औंस थी। पूरे साल इसमें लगातार तेजी देखने को मिली। यह 200-दिन, 100-दिन, 50-दिन और 20-दिन के एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज समेत अपने सभी प्रमुख मूविंग एवरेज से ऊपर बना रहा। 13 दिसंबर 2025 तक सोने का भाव बढ़कर करीब 4,300 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया, जो इस साल अब तक लगभग 65 फीसदी की तेजी को दिखाता है।

भारतीय बाजार की बात करें तो मुंबई में 1 जनवरी 2025 को सोना करीब 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था, जो अब बढ़कर लगभग 1,34,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। यानी घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में करीब 72 फीसदी की उछाल दर्ज की गई है।


चांदी में भी जोरदार उछाल

चांदी ने भी 2025 में जबरदस्त तेजी दिखाई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें साल की शुरुआत में करीब 28 डॉलर प्रति औंस थीं, जो 13 दिसंबर 2025 तक बढ़कर लगभग 62 डॉलर प्रति औंस हो गईं। इस तरह चांदी ने साल भर में करीब 121 फीसदी की छलांग लगाई है।

भारत में सोना और चांदी अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले ज्यादा महंगे हुए हैं, जिसकी बड़ी वजह रुपये की कमजोरी रही। डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर 90.5 तक फिसल गया है। चूंकि भारत अपनी ज्यादातर सोने की जरूरत आयात के जरिए पूरी करता है। ऐसे में कमजोर रुपये ने घरेलू कीमतों को और ऊपर धकेल दिया।

एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2025 में सोने की कीमतों में तेज उछाल के पीछे कई कारक रहे। भू-राजनीतिक तनाव, ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितता, दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों की लगातार सोने की खरीद, ETF के जरिए बढ़ता निवेश, कमजोर डॉलर और कई देशों में ब्याज दरों में कटौती ने मिलकर सोने को मजबूत सहारा दिया।

गोल्ड रिटर्न एट्रिब्यूशन मॉडल के विश्लेषण के अनुसार, केवल ‘जोखिम और अनिश्चितता’ ने ही इस साल सोने के रिटर्न में करीब 11.5 प्रतिशत अंकों का योगदान दिया, जबकि डॉलर की कमजोरी और ब्याज दरों में कटौती से जुड़े ‘ऑपर्च्युनिटी कॉस्ट’ फैक्टर ने लगभग 10 प्रतिशत अंकों का योगदान दिया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, इस साल सोने को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का योगदान अपेक्षाकृत संतुलित रहा है।

2026 में कैसा रहेगा सोने-चांदी का भाव

अब सवाल यह है कि 2026 में सोना और चांदी किस दिशा में जा सकते हैं। एनालिस्ट्स का मानना है कि 2026 में सोने की कीमतें ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक हालात, भू-राजनीतिक तनाव, सेंट्रल बैंकों की खरीद और रीसाइक्लिंग सप्लाई पर निर्भर करेंगी। दिल्ली स्थित एक बुलियन मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाल के महीनों में गोल्ड रीसाइक्लिंग असामान्य रूप से कमजोर रही है। इसकी एक वजह भारत में गोल्ड लोन का बढ़ता चलन है, जहां 2025 में 200 टन से ज्यादा पुराना आभूषण गिरवी रखा गया है। सीमित रीसाइक्लिंग सप्लाई से कीमतों को सहारा मिलता है, लेकिन अगर भविष्य में इस गिरवी रखे सोने की मजबूरी में बिकवाली बढ़ती है, तो सेकेंडरी सप्लाई बढ़ने से बाजार पर दबाव भी आ सकता है।

चांदी के आउटलुक पर एक्सिस सिक्योरिटीज का कहना है कि 60 डॉलर प्रति औंस से ऊपर के स्तर पर कीमतें औद्योगिक मांग में कमी या चांदी की खपत कम करने जैसे विकल्पों को बढ़ावा दे सकती हैं। अगर ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती आती है, खासकर हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में गिरावट होती है, तो इसका असर चांदी की कीमतों पर पड़ सकता है।

कुल मिलाकर, 2025 में ऐतिहासिक तेजी के बाद 2026 में भी सोना और चांदी निवेशकों की नजर में रहेंगे, लेकिन आगे की चाल पूरी तरह वैश्विक आर्थिक संकेतों और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर टिकी रहेगी।

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