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Bank Locker Rules: बैंक लॉकर लेते समय रहें सावधान, जानिए छिपे चार्जेज और जरूरी नियम

Bank Locker Rules: बैंक लॉकर लेने से पहले नियम, चार्ज और अनुबंध की सभी शर्तों को ध्यान से पढ़ना जरूरी है क्योंकि किराए के अलावा बैंक रजिस्ट्रेशन, अतिरिक्त विजिट और चाबी खोने पर अलग शुल्क लेते हैं । साथ ही, ग्राहक की लापरवाही नहीं बल्कि बैंक की गलती से नुकसान होने पर लॉकर किराए के 100 गुना तक मुआवजा देने की जिम्मेदारी बैंक पर होती है ।​

अपडेटेड Oct 17, 2025 पर 2:57 PM
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जो लोग अपने कीमती गहने, दस्तावेज या संपत्ति के कागजात बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखना चाहते हैं, उनके लिए सिर्फ लॉकर किराए की राशि जानना ही काफी नहीं है। बैंक आपके लॉकर से जुड़ी कुछ ऐसी अतिरिक्त शर्तें और शुल्क भी लगाते हैं, जिनकी जानकारी पहले से होना जरूरी है, वरना बाद में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वार्षिक किराया और अनुबंध की शर्तें

बैंक लॉकर सुविधा का वार्षिक किराया उस लॉकर के आकार और शाखा के लोकेशन पर निर्भर करता है। यह शुल्क हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अग्रिम रूप से जमा करना होता है। बैंक को ग्राहकों को लॉकर एग्रीमेंट की साइन की हुई कॉपी देना अनिवार्य होता है, जिसमें उनके अधिकार और जिम्मेदारियां लिखी होती हैं।

लॉकर पर लगने वाले अतिरिक्त चार्जेज


कई बार ग्राहक सिर्फ सालाना किराए के बारे में सोचते हैं, लेकिन बैंक कुछ अतिरिक्त शुल्क भी लेते हैं। इनमें शामिल हैं:

- एक बार का रजिस्ट्रेशन चार्ज, जो लॉकर आवंटन के समय लिया जाता है ताकि डॉक्युमेंटेशन और एडमिनिस्ट्रेशन की लागत पूरी हो सके।

- हर ग्राहक को सीमित बार लॉकर खोलने की अनुमति होती है। यदि यह सीमा पार होती है तो अतिरिक्त विजिट चार्ज देना पड़ता है।

- यदि वार्षिक किराया समय पर नहीं भरा गया तो बैंक विलंब शुल्क (ओवरड्यू पेनल्टी) लगाता है।

- चाबी खो जाने या किराया न भरने की स्थिति में लॉकर तोड़ने और नई चाबी लगाने पर भी अलग शुल्क लागू होता है। HDFC बैंक के अनुसार, यह कार्य अधिकृत वेंडर की मौजूदगी में बैंक अधिकारी और ग्राहक की उपस्थिति में किया जाता है।

टर्म डिपॉजिट की शर्तें

कई बैंक लॉकर देते समय तीन साल की किराए की रकम और लॉकर तोड़ने के खर्च को ध्यान में रखते हुए ग्राहकों से टर्म डिपॉजिट (एफडी) मांगते हैं। हालांकि SBI की नीति है कि जिनका खाता संतोषजनक ढंग से चल रहा हो या जो लंबे समय से बैंक के ग्राहक हों, उनसे यह एफडी नहीं मांगी जाएगी।

इसके लिए कुछ मानक तय किए गए हैं। खाता KYC के अनुसार होना चाहिए, पिछले तीन सालों से सक्रिय रहना चाहिए, और औसत बैलेंस दो साल के किराए के बराबर होना चाहिए। कर्मचारियों और VIP ग्राहकों को भी इस शर्त से छूट दी गई है।

नुकसान की स्थिति में बैंक की जिम्मेदारी

यदि किसी शाखा में चोरी, डकैती, आग या भवन गिरने जैसी घटना बैंक की गलती या कर्मचारियों की लापरवाही से होती है, तो ग्राहक को नुकसान की भरपाई मिलेगी। ऐसे मामलों में बैंक लॉकर के सालाना किराए के सौ गुना तक मुआवजा देने का जिम्मेदार होता है।

इसलिए, किसी भी बैंक में लॉकर समझौता साइन करने से पहले हर शुल्क, शर्त और सुरक्षा नियम को ध्यानपूर्वक पढ़ना बेहद जरूरी है ताकि आगे चलकर किसी तरह का आर्थिक झटका न लगे।

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