म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए दो विकल्प होते हैं डायरेक्ट और रेगुलर। डायरेक्ट म्यूचुअल फंड ऐसे फंड होते हैं जिन्हें निवेशक सीधे फंड हाउस या एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से खरीदते हैं, जबकि रेगुलर म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर एक बिचौलिए या सलाहकार के माध्यम से फंड खरीदा जाता है। इस बीच का मुख्य अंतर खर्च और रिटर्न का होता है।
डायरेक्ट फंड में कोई डिस्ट्रीब्यूटर शामिल नहीं होते, इसलिए इसमें कमीशन नहीं देना पड़ता और इसका खर्च अनुपात (expense ratio) रेगुलर फंड की तुलना में काफी कम होता है। इसका मतलब यह है कि डायरेक्ट फंड से मिलने वाला रिटर्न ज्यादा हो सकता है क्योंकि निवेश पर अतिरिक्त खर्च कम लगता है। निवेशक इसे AMC की वेबसाइट या ऐप से सीधे ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश कर सकते हैं।
वहीं, रेगुलर म्यूचुअल फंड में निवेशक को सलाहकार, ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से निवेश करना पड़ता है, जो निवेश प्रक्रिया को सरल बनाते हैं और विशेषज्ञ सलाह देते हैं। लेकिन इसकी एक कीमत होती है ये मीडिएटर कमीशन लेते हैं और वह अतिरिक्त खर्च फंड के खर्च अनुपात में शामिल होता है, जिससे कुल रिटर्न डायरेक्ट प्लान की तुलना में कम होता है। नए निवेशकों के लिए सलाहकार की मदद फायदे की होती है क्योंकि वे फंड चयन और पोर्टफोलियो प्रबंधन में सहायता करते हैं।
यदि आप निवेश की जानकारी रखते हैं और खुद रिसर्च करना पसंद करते हैं तो डायरेक्ट म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प है क्योंकि यह कम खर्च में अधिक रिटर्न देता है। वहीं, अगर आप फंड मैनेजमेंट में विशेषज्ञ सलाह चाहते हैं तो रेगुलर म्यूचुअल फंड आपके लिए बेहतर रहेंगे।
इसलिए निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्य, जोखिम क्षमता और बाजार ज्ञान के आधार पर सही विकल्प चुनना महत्वपूर्ण होता है। दोनों विकल्पों में निवेश के फायदे हैं, बस आपकी सुविधा और ज्ञान के अनुसार चयन करें।