भारत छोड़ने वाले लोगों के लिए यूनियन बजट में एक बड़ा ऐलान किया गया है। सरकार ने ऐसे लोगों के लिए ब्लैक मनी से जुड़े क्लियरेंस सर्टिफिकेट को अनिवार्य बना दिया है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश जाना चाहता है तो उसे देश छोड़ने से पहले यह सर्टिफिकेट हासिल करना होगा। इस प्रावधान से अमीर भारतीयों के बीच काफी कनफ्यूजन पैदा हो गया है। वे जानना चाहते हैं कि क्या कोई व्यक्ति छुट्टियां मनाने या कामकाज के सिलसिले में विदेश जाता है तो क्या यह सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा? मनीकंट्रोल ने इस प्रावधान को लेकर कनफ्यूजन दूर करने की कोशिश की है।
सरकार ने क्या बदलाव किया है?
पहले यह जान लेना जरूरी है कि टैक्स क्लियरेंस भारत छोड़ने वाले नॉन-रेजिडेंट और कुछ खास तरह के रेजिडेंट्स के लिए पहले से जरूरी है। इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स, एक्सपेंडिचर टैक्स और गिफ्ट टैक्स के लिए नो-लायबिलिटी सर्टिफिकेट अनिवार्य है। अब सरकार ने इस नियम का दायरा बढ़ा दिया है। इसके तहत ब्लैक मनी रूल्स, 2015 के तहत टैक्स लायबिलिटी को भी शामिल कर दिया है।
सरकार के इस कदम के बाद ऐसा कोई व्यक्ति जिस पर ब्लैक मनी रूल्स के तहत टैक्स लायबिलिटी है, अथॉरिटीज से क्लियरेंस के बिना देश से बाहर नहीं जा सकेगा। हालांकि, सेक्शन 230 के नियम रेजिडेंट्स और नॉन-रेजिडेंट्स पर अलग-अलग तरह से लागू होते हैं।
क्या इसका असर विदेश में बसने के लिए भारत छोड़ने वाले लोगों पर भी पड़ेगा?
बजट में नियम में बदलाव का जो ऐलान किया गया है उसका असर उन इंडियंस पर नहीं पड़ेगा जो किसी दूसरे देश की नागरिकता लेने के लिए भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। भारतीय कानून के मुताबिक, कोई व्यक्ति जो दूसरे देश की नागरिकता लेना चाहता है उसे इंडियन पासपोर्ट सरेंडर करना अनिवार्य है। उसके बाद रेजिडेंट को रेनंसिएशन सर्टिफिकेट (renunciation certificate) के लिए इंडियन गवर्नमेंट के पास अप्लाई करना पड़ता है। इसके बाद गृह मंत्रालय और लोकल पुलिस उस व्यक्ति के बैकग्राउंड की जांच करती हैं। इसमें यह देखा जाता है कि क्या व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह की टैक्स लायबिलिटी या मामला लंबित है। उसके बाद उसे क्लियरेंस मिल जाता है।
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विदेश जाने वाले भारतीय नागरिकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
हॉलीडे या कामकाज के सिलसिले में विदेश जाने वाले भारतीय लोगों के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास फॉर्म 30 फाइल करना अनिवार्य है। इसमें व्यक्ति का PAN, विदेश में उस स्थान की जानकारी जहां व्यक्ति जाना चाहता है और यात्रा का उद्देश्य बताया जाता है। कुछ लोग इस फॉर्म को नहीं भरते हैं क्योंकि दूसरे देश में अथॉरिटी इस फॉर्म को नहीं मांगते हैं। लेकिन, अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बाद में व्यक्ति के विदेश यात्रा के बारे में पता चलता है और उसे लगता है कि टैक्स की चोरी हुई है तो वह कार्रवाई कर सकता है। इसलिए जो लोग फॉर्म 30सी भरते हैं उन पर बजट में नियम में बदलाव का असर नहीं पड़ेगा।