भारतीय रेलवे से रोज करोड़ों यात्री सफर करते हैं, लेकिन पीक सीजन में कन्फर्म टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है। तब RAC (रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन) एक अच्छा विकल्प बचता है। RAC का मतलब है एक बर्थ पर दो यात्रियों की शेयरिंग यानी आधी सीट मिलती है लेकिन ट्रेन में चढ़ने का पूरा हक होता है। कई लोग कन्फ्यूज रहते हैं कि क्या ये सफर भर शेयरिंग ही रहेगी? रेलवे नियम साफ कहते हैं - हां, बीच सफर में ये फुल बर्थ में बदल सकती है। आइए स्टेप बाय स्टेप समझें ये कैसे होता है और क्या सावधानियां बरतें।
बुकिंग के समय अगर आपको 20-RAC मिला, तो चिंता न करें। चार्ट बनने पर कैंसिलेशन से ये 2-RAC तक सिमट सकता है। ट्रेन चलने के बाद कन्फर्म टिकट वाले अगर न चढ़ें या रास्ते में उतर जाएं, तो टीटीई (ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर) खाली बर्थ्स चेक करता है। वो सबसे पहले कम नंबर वाले RAC यात्रियों को प्राथमिकता देता है। अगर दिल्ली से गोरखपुर लंबी यात्रा पर 2-RAC है। अगर रास्ते में 2-3 पैसेंजर नो-शो हो जाएं, तो टीटी आपको पूरी बर्थ अलॉट कर देगा। लंबे रूट्स पर कैंसिलेशन ज्यादा होते हैं, इसलिए चांस बेहतर रहते हैं।
ट्रेन रवाना होते ही टीटीई चार्ट से वेकेंट बर्थ्स नोटिस करता है। नियमों के तहत RAC को कन्फर्मेशन प्रायोरिटी मिलती है, वेटिंग लिस्ट को नहीं। अगर आपका RAC 10 से नीचे है, तो संभावना 70-80% तक हो जाती है। AC कोच में अब RAC यात्रियों को अलग बेडरोल भी मिलता है, पहले शेयरिंग होती थी। स्लीपर में भी यही नियम लागू। वेटिंग लिस्ट वाले ट्रेन न चढ़ पाते, लेकिन RAC में बोर्डिंग पक्की। PNR ऐप से रीयल टाइम स्टेटस चेक करें।
यात्रियों के लिए जरूरी टिप्स
- बुकिंग से पहले रूट चेक करें, जहां कैंसिलेशन रेट हाई हो।
- चार्ट तैयार होते ही अपडेट देखें, RAC 5 से नीचे हो तो चढ़ें।
- टीटीई से बात करें, लेकिन झूठे दस्तावेज न दिखाएं जुर्माना लगेगा।
- फैमिली ट्रैवल में ग्रुप बुकिंग से RAC कन्फर्मेशन आसान।
- टाटकल या ई-टिकट में RAC बेहतर, फुल वेटिंग से बचें।