पर्सनल लोन आजकल ऐप पर कुछ क्लिक से मिल जाता है, लेकिन यही आसानी कई बार महंगा पड़ जाता है। बैंक का प्री-अप्रूव्ड ऑफर देखकर बिना सोचे लोन ले लेना आम है, लेकिन ब्याज दरें सबसे ऊंची होने से छोटी चूक सालों का बोझ बन जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि समस्या लोन लेने में नहीं, बल्कि जल्दबाजी में फैसला लेने में है। आइए जानें वो गलतियां जो ज्यादातर उधारकर्ता करते हैं।
लोग अक्सर कम मासिक किस्त (EMI) वाले लोन चुन लेते हैं, जो टेन्योर बढ़ाकर सस्ता लगता है। लेकिन इससे कुल ब्याज कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे समझें 3 लाख का लोन 12% ब्याज पर 3 साल में 60 हजार ब्याज बनेगा, लेकिन 5 साल का टेन्योर चुनने पर ये 1 लाख पार कर सकता है। सलाह ये दी जाती है कि कुल पेमेंट चेक करें, छोटा टेन्योर चुनें अगर बजट हो।
अपने पुराने बैंक का ऑफर देखकर तुरंत मान लेना गलत है। अलग-अलग बैंक और NBFC में 1-2% ब्याज का फर्क होता है, जो लाखों की बचत करा सकता है। प्रोसेसिंग फीस (1-3%), GST और छिपे चार्ज भी जोड़ें तो सही सौदा मिलना मुश्किल। कम से कम 3-4 ऑफर कंपेयर करें, क्रेडिट स्कोर चेक करवाएं।
प्रोसेसिंग फीस, इंश्योरेंस या लेट पेमेंट पेनल्टी को नजरअंदाज करना आम भूल है। 3 लाख लोन पर 2% फीस मतलब 6 हजार कम मिलेंगे। कुछ बैंक डिस्बर्सल से पहले काट लेते हैं। लोन एग्रीमेंट की फाइन प्रिंट पढ़ें, प्रीपेमेंट चार्ज चेक करें। बिना प्लान EMI चुकाना बाद में परेशान करता है।
पैसे मिलते ही खर्च हो जाते हैं, EMI का बोझ बाद में महसूस होता है। पहले से ऑटो-डेबिट सेट करें, बफर रखें और प्रीपेमेंट प्लान बनाएं। क्रेडिट स्कोर खराब न हो, इसके लिए समय पर भुगतान जरूरी। लोन जरूरत पर लें, न कि इच्छा पर।