SIP: अगर सिप के पेमेंट में मैं डिफॉल्ट कर गया तो मुझे किस तरह की दिक्कत आ सकती है?

सिप में निवेश रुक जाने से कंपाउंडिंग की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। कई इनवेस्टर का सिप पेमेंट तकनीकी कारणों से बाधित हो जाता है। उदाहरण के लिए सेविंग बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं होने से सिप का पेमेंट नहीं हो पाता है। ऐसा होने पर सिर्फ उस महीने का आपका सिप का पेमेंट नहीं जाता है

अपडेटेड Dec 10, 2025 पर 10:08 PM
Story continues below Advertisement
सिप कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। यह एक फ्लेक्सिबल प्लान है।

सिप के रास्ते म्यू्चुअल फंड की स्कीम में निवेश करने का एक फायदा यह है कि आप 500-1,000 रुपये से इनवेस्टमेंट की शुरुआत कर सकते हैं। यह पैसा तय तारीख को आपके सेविंग्स बैंक अकाउंट से कट जाता है। मार्केट्स गिरने पर आपको ज्यादा यूनिट्स एलॉट होती हैं, जबकि मार्केट्स चढ़ने पर कम। इसका फायदा यह है कि लंबी अवधि में आपके निवेश की औसत एनएवी कम रहती है। सवाल यह है कि अगर किसी वजह से आप सिप में पेमेंट नहीं कर पाते हैं तो क्या होगा?

सिप कॉन्ट्रैक्ट नहीं बल्कि फ्लेक्सिबल प्लान है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई बार व्यक्ति ऐसी मुश्किल में घिर जाता है, जब उसके लिए निवेश जारी रखना मुमकिन नहीं रह जाता है। अचानक खर्च का बढ़ जाना या नौकरी छूट जाना इसके उदाहरण हैं। अच्छी बात यह है कि सिप कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। यह एक फ्लेक्सिबल प्लान है। अगर किसी वजह से आप सिप से निवेश जारी नहीं रख पाते हैं तो पहले एलॉट हुई यूनिट्स में आपका निवेश बना रहता है।


अकाउंट में बैलेंस नहीं होने से सिप का पेमेंट नहीं होता है

सिप में निवेश रुक जाने से कंपाउंडिंग की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। कई इनवेस्टर का सिप पेमेंट तकनीकी कारणों से बाधित हो जाता है। उदाहरण के लिए सेविंग बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं होने से सिप का पेमेंट नहीं हो पाता है। ऐसा होने पर सिर्फ उस महीने का आपका सिप का पेमेंट नहीं जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर एक बार ऐसा हो जाए तो ज्यादा मुश्किल नहीं आती है। लंबी अवधि में आपके रिटर्न पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता है। लेकिन, अगर बार-बार ऐसा होता है तो इसका असर आपके लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन पर पड़ता है।

मुश्किल आने पर सिप का अमाउंट घटा सकते हैं

अचानक पैसे की मुश्किल होने पर सिप बंद करने की जगह आप सिप के अमाउंट को कम कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप हर महीने किसी स्कीम में 2000 रुपये का निवेश कर रहे हैं तो मुश्किल आने पर आप हर महीने 500 रुपये का निवेश कर सकते हैं। फिर, स्थिति सामान्य होने पर आप सिप अमाउंट को बढ़ा सकते है। इससे आपका इनवेस्टमेंट प्लान कंटिन्यू रहेगा।

मार्केट गिरने पर सिप बंद करने से बड़ा नुकसान 

कई इनवेस्टर्स स्टॉक मार्केट में गिरावट आने पर चिंतित हो जाते है। गिरावट लंबे समय तक जारी रहने पर वे अपने सिप को बंद करने के बारे में सोचने लगते हैं। लेकिन, जब मार्केट गिरता है तो आपको ज्यादा यूनिट्स एलॉट होती हैं। आप कम प्राइस पर किसी चीज को ज्यादा संख्या में खरीदते हैं। मार्केट के रिकवर करने पर आपकी यूनिट्स की एनएवी बढ़ती है, जिससे मार्केट में गिरावट का आपको नुकसान की जगह फायदा होता है।

यह भी पढ़ें: FD vs Bonds: रेपो रेट घटने के बाद बैंक एफडी पर घटा रहे इंटरेस्ट, क्या पैसा एफडी से निकालकर बॉन्ड्स में लगाना चाहिए?

छोटे अमाउंट से कर सकते हैं सिप से निवेश की शुरुआत

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन निवेशकों को यह डर रहता है कि वे सिप पेमेंट पर डिफॉल्ट कर जाएंगे, उन्हें कम अमाउंट के साथ सिप के रास्ते निवेश शुरू करना चाहिए। फिर हर साल इनवेस्टमेंट अमाउंट को थोड़ा-थोड़ा बढ़ाना चाहिए। इससे लंबी अवधि में उनके लिए आसानी से बड़ा फंड तैयार हो जाएगा।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।