UPI ने रोजमर्रा के भुगतान को चुटकियों में बदल दिया, लेकिन यही आसानी कई बार फरेब का दरवाज़ा भी खोल देती है। स्क्रीन‑शेयरिंग ऐप, नकली रिफंड लिंक, हूबहू दिखने वाले कस्टमर‑केयर नंबर और चोरी छिपे QR कोड से छोटी‑छोटी गलती भी खाते खाली करवा सकती है। इसलिए परिवार में डिजिटल पक्का नियम बनाना अब ज़रूरी हो गया है ताकि कोई भी सदस्य गलती से पैसा न भेज दे।
सरल इन‑हाउस नियम करें लागू
सबसे पहले घर में साफ नियम बनाएं... किसी भी 'collect' रिक्वेस्ट को तुरंत मंजूर न करें, OTP या UPI‑PIN किसी से साझा न करें और किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें। बच्चे और बुज़ुर्ग, जिन्हें डिजिटल आदत कम है, उन्हें खास तौर पर बताएं कि बैंक, NPCI या UPI ऐप कभी भी PIN/OTP नहीं मांगेगा। इसके अलावा बड़े ट्रांज़ैक्शनों के लिए एक ही व्यक्ति जिम्मेदार रखें और बाकी सदस्यों को पूछताछ की आदत डालें।
UPI से जुड़े मुख्य जोखिमों में से एक यह है कि ज्यादातर लोग अपनी मुख्य सेविंग अकाउंट ही लिंक कर देते हैं। सेफ तरीका यह है कि UPI‑लिंक किसी छोटे बैलेंस वाले खाते से करें या बैंक ऐप में ट्रांज़ैक्शन‑लिमिट सेट कर दें। कई बैंक और ऐप्स में इन‑ऐप लिमिट्स और ट्रांज़ैक्शन‑फ्रीक्वेंसी के विकल्प होते हैं इन्हें सक्रिय कर लेना बचाव है।
डिवाइस और QR‑सेफ्टी पर ध्यान दें
फोन को मजबूत पासकोड या बायोमेट्रिक से लॉक रखें और UPI ऐप में ऐप‑लेवल लॉक (PIN/fingerprint) चालू रखें। QR स्कैन करते समय कोड को ध्यान से चेक करें। कहीं खुरदरा‑पेस्ट या बदला हुआ लगे तो नया QR‑कोड मांगे। सार्वजनिक वाई‑फाई पर कभी पेमेंट न करें और अनजान ऐप्स इंस्टॉल न करें।
रोकथाम के बाद त्वरित कार्रवाई भी सीखें
अगर कोई संदिग्ध लेन‑देना दिखे तो तुरंत बैंक को कॉल कर अकाउंट ब्लॉक कराएं और नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल या पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं। जितनी जल्दी रिपोर्ट होगी, नुकसान कम होने के चांसेस ज्यादा होंगे। ट्रांजैक्शन अलर्ट और बैंक के SMS नोटिफिकेशन ऑन रखें ताकि देर न हो।