इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिफंड में देरी की समस्या को खत्म करने और टैक्स रिटर्न की फास्ट प्रोसेसिंग के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सीबीडीटी ने इस बारे में 27 अक्तूबर, 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके जरिए कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (सेंट्र्लाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर, बेंगलुरु) के अधिकार बढ़ाए गए हैं। इससे कमिश्नर और अथॉराइज्ड अफसर टैक्सपेयर्स के रिकॉर्ड में गलती को सुधार सकेंगे। इस कदम से रिटर्न की प्रोसेसिंग जल्द और टैक्सपेयर्स को जल्द रिफंड मिलेगा।
सीपीसी कंप्यूटेशनल एरर्स को खुद ठीक कर सकेगा
पहले टैक्सपेयर्स को गलत टैक्स क्रेडिट, रिफंड में देरी और रिटर्न और एसेसमेंट ऑर्डर में मिसमैच की स्थिति में अलग-अलग अफसरों के पास जाना पड़ता था। अब बेंगलुरु स्थिति सीपीसी कंप्यूटेशनल एरर्स को खुद ठीक कर सकेगा। इसके लिए उसे ज्यूरिडिक्शन से जुड़े एसेसिंग अफसर की पहल का इंतजार नहीं करना होगा। अब सीपीसी के पास भी एसेसिंग अफसर के साथ गलतियों को ठीक करने का अधिकार होगा।
इन अफसरों के भी अधिकार बढ़ाए गए
सीबीडीटी के नोटिफिकेशन में एडिशनल, ज्वाइंट और सबओर्डिनेट एसेसिंग अफसरों के अधिकार भी बढ़ाए गए हैं। इसका मकसमद अलग-अलग रीजन के तहत गलतियों को जल्द ठीक करना है। सीपीसी अब कंप्यूटेशनल या अकाउंटिंग से जुड़ी गलतियां ठीक कर सकेंगे। इससे एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस के बीच कॉरेसपॉन्डेस में कमी आएगी। साथ ही फील्ड अफसर्स और सीपीसी का समय एक ही काम में खर्च नहीं होगा।
गलती ठीक करने के लिए नहीं करना होगा इंतजार
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब रिफंड के निर्धारण या सेक्शन 244ए के तहत इंटरेस्ट के कंप्यूटेशन में गलती को तुरंत ठीक कर दिया जाएगा। इससे रिफंड समय पर इश्यू किया जा सकेगा। टैक्सपेयर्स को गलती ठीक कराने के लिए अलग-अलग अफसरों के पास नहीं जाना पड़ेगा। सेंट्रलाइज्ड रेक्टिफिकेशन की व्यवस्था शुरू होने से डेटा एक्युरेसी और ऑडिट ट्रेल में भी सुधार होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीबीडीटी के नोटिफिकेशन के बाद एसेसमेंट और प्रोसेसिंग के बीच फंक्शनल गैप खत्म हो गया है।
इस कदम से टैक्सपेयर्स को भी होगा फायदा
सीबीडीटी के कदम से कंप्यूटेशन से जुड़ी गलतियों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ठीक कर दिया जाएगा। इसका फायदा टैक्सपेयर्स को भी होगा। छोटी गलतियां होने पर उसे परेशान नहीं होना पड़ेगा। इससे फेसलेस और टेक्नोलॉजी आधारित टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन की सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। अब हर करेक्शन और एडजस्टमेंट की जानकारी सीपीसी के सिस्टम में होगी। इससे मैनुअल एरर्स का रिस्क घटेगा और अकाउंटेबिलिटी बढ़ेगी।