Business Idea: पूरी दुनिया में 25 दिसंबर को क्रिसमस फेस्टिवल मनाया जाता है। इस दिन की शोभा बढ़ाने में क्रिसमस ट्री का भी अहम रोल है। दिसंबर के आखिरी तक इस पेड़ की डिमांड में जोरदार इजाफा देखने को मिलता है। ऐसे में क्रिसमस ट्री (Christmas tree) की खेती के जरिए मोटी कमाई कर सकते हैं। बंजर भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। बाजार से क्रिसमस ट्री खरीदकर लोग अपने घर ले आते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि ये पेड़ कहां और कैसे उगता है? इसका क्या नाम है, किन-किन पेड़ों को क्रिसमस ट्री बना सकते हैं और क्रिसमस ट्री लगाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है ?
बता दें कि क्रिसमस ट्री कोई एक पेड़ नहीं है, बल्कि शंकुधारी, तिकोने और कोनिफर जैसे पेड़ों को क्रिसमस ट्री के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। देवदार, चीड़, डगलस फर, स्प्रूस, एरिजोना सरू और रेत पाइन, जिनके पत्ते नुकीले होते हैं। इन्हीं से क्रिसमस ट्री तैयार किया जाता है। इन सभी पेड़ों की झाड़ियां नीचे से चौड़ी-फैली हुई और ऊपर पहुंचने तक पतली और नुकीली हो जाती हैं।
भारत में कहां उगते हैं क्रिसमस ट्री
उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्रों में क्रिसमस ट्री जैसे सहाबहार पेड़ पाए जाते हैं। खास कर के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के बर्फीले पहाड़ों पर इसकी खेती की जाती है। यह ना सिर्फ इन वादियों की शोभा बढ़ाते हैं बल्कि लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी मुहैया कराते हैं। वहां की भाषा में इन्हें चीड़ कहा जाता है और देवदार के नाम से भी जाना जाता है। इन पेड़ों को पनपने में करीब 4-5 साल लग जाता है। यह ठंड के मौसम में ही उगते हैं। हर साल क्रिसमस के लिए इन प्रजातियों के लाखों पेड़ उगाए जाते हैं। जिन्हें काटकर बाजार में बेच दिया जाता है। वहीं कुछ लोग क्रिसमस ट्री को एस्ट्रो के हिसाब से शुभ मानते हैं। ऐसे में इसे अपने घर पर भी लगाते हैं।
बाजार में क्रिसमस ट्री की कई वैरायटी मौजूद हैं। ये 500 से 1000 रुपये तक आसानी से बिक जाते हैं। अगर 5 से 8 फीट लंबा पेड़ खरीदना है तो 3,000 से 10,000 रुपये खर्च करना पड़ सकता है। इन पेड़ों को आप ऑनलाइन या नर्सरी से भी खरीद सकते हैं। अगर आप क्रिसमस का पौधा खरीदकर लगाते हैं तो सालों साल आपके घर और आस-पास के इलाके में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती रहेगी।