कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का छोटे स्पिनर्स और उद्योग जगत ने स्वागत किया है। साउथ इंडिया स्मॉल स्पिनर्स एसोसिएशन (SISPA) के अध्यक्ष जे सेलवन ने 14 अप्रैल को एक बयान में कहा कि आयात शुल्क को हटाने से कपास की कीमतों में लगातार वृद्धि से प्रभावित मिलों को सस्ती कीमतों पर कपास खरीदने में मदद मिलेगी। इस फैसले से आवक भी बढ़ेगी।
उन्होंने 30 सितंबर तक आयात शुल्क हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) और टेक्सटाइल मंत्री पीयूष गोयल (Textile Minister Piyush Goyal) को धन्यवाद दिया।
उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन (M.K. Stalin) को कपड़ा उद्योग की दुर्दशा पर केंद्र को पत्र लिख कर मदद की गुहार लगाने के लिए भी धन्यवाद दिया। Kongunadu Makkal Desiya Katchi के महासचिव ईआर ईश्वरन (E.R. Eswaran) ने कहा कि आयात शुल्क को हटाने से कपास, धागे और कपड़े के कच्चे माल की कीमतें कम हो सकेंगी।
उन्होंने एक अलग बयान में कहा कि इससे निर्यातकों को चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) और सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन (SIMA) ने एक संयुक्त बयान में कहा कि केंद्र सरकार के 11 प्रतिशत आयात शुल्क को खत्म करने के फैसले से किसानों और उद्योग दोनों के हितों की रक्षा होगी।
CITI के अध्यक्ष टी. राजकुमार और SIMA के अध्यक्ष रवि सैम ने कहा कि किसान मौजूदा सीजन के दौरान अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कपास की कीमतों में भारी वृद्धि का लाभ उठाकर रिकॉर्ड आय अर्जित कर पाये थे।
अंतरराष्ट्रीय कपास का मौसम अगस्त में शुरू होगा और इंडस्ट्री सरकार द्वारा की गई सक्रिय पहल पर अपने प्रदर्शन को बरकरार रख पायेगी। शॉर्ट टर्म में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कुछ वृद्धि हो सकती है, लेकिन घरेलू कपास की कीमत जल्द ही घट जाएगी। इसके साथ ही ये अंतरराष्ट्रीय कीमत के समान होने अलावा कारोबार के लिए एक समान अवसर पैदा करेगी।