अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वार का फायदा भारतीय ग्राहकों को मिल सकता है। अमेरिका के साथ बढते तनाव के बीच चीन की कई इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट कंपनियां इस समय भारतीय कंपनियों को 5% तक की छूट दे रही हैं। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में स्मार्टफोन, टीवी, फ्रिज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की कीमतें भारत में घट सकती हैं। द इकनॉमिक टाइम्स ने 10 अप्रैल को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां मांग को बढ़ावा देने के लिए इस छूट का कुछ हिस्सा ग्राहकों को दे सकते हैं।
ट्रंप के टैरिफ ने बदले अंतरराष्ट्रीय समीकरण
चीन के इस जवाबी कार्रवाई से बौखलाए ट्रंप ने 9 अप्रैल को एक फिर चीन पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया और इसे 125 फीसदी कर दिया। लेकिन साथ ही उन देशों को राहत दी जो अमेरिका के खिलाफ टैरिफ नहीं लगा रहे। इससे ग्लोबल शेयर मार्केट ने राहत की सांस ली और इसमें तेजी देखने को मिली।
भारतीय कंपनियों को मिल सकता है बड़ा फायदा
चीन और अमेरिका के बीच इस ट्रेड वार से दुनिया भर के निवेशक परेशान हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि दो देशों की इस लड़ाई में भारतीय कंपनियों को फायदा हो सकता है। ऊंचे टैरिफ के चलते न की एक्सपोर्ट कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है क्योंकि अब उन्हें अमेरिका से कम ऑर्डर मिल रहे हैं। इस हालात में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को मोलभाव करने का मौका मिल सकता है और वे चीन से सस्ते में कंपोनेंट मंगा सकती हैं।
गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप में अप्लायंस बिजनेस के हेड कमल नंदी ने बताया कि "चीन में डिमांड घटने से वहां के कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स दबाव में हैं, और ऐसे में भारतीय कंपनियों के पास कीमतों को लेकर नए सिरे से बातचीत करने का मौका है।"
रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री में आमतौर पर 2 से 3 महीने का इन्वेंट्री साइकिल चलता है, इसलिए कंपनियां मई-जून से नए ऑर्डर देना शुरू करेंगी। सुपर प्लास्ट्रॉनिक्स के सीईओ अवनीत सिंह मारवाह ने कहा, "चीन में सप्लाई ज्यादा हो गई है, लेकिन अमेरिका से ऑर्डर घटने से कंपनियों में घबराहट है। इस कारण भारतीय कंपनियां कीमतों पर फिर से बातचीत कर रही हैं और इस छूट का कुछ हिस्सा ग्राहकों को भी मिलेगा।"
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर भी जोर
इस बीच इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 28 मार्च को 22,919 करोड़ रुपये की PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना को मंजूरी दी थी। ये योजना नॉन-सेमिकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के लिए है, जिससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और ग्लोबल निर्भरता कम होगी।