पिछले कुछ दिनों से बाजार में टमाटर की कीमतें अचानक फिर से सिर चढ़कर बोलने लगी हैं। महीने भर पहले तक जो टमाटर हर घर की थाली में आराम से जगह बना लेता था, अब उसकी कीमत देख कर लोग सोच में पड़ जा रहे हैं। बारिश और बदले मौसम की वजह से सप्लाई गड़बड़ा गई और इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ा है। कई शहरों में दाम दोगुने तक पहुंच गए हैं, जिससे रसोई का खर्च बढ़ गया है। महाराष्ट्र जैसे बड़े उत्पादक राज्यों से लेकर दिल्ली जैसे बड़े बाजारों तक, हर जगह टमाटर के दाम चढ़ते ही जा रहे हैं।
ऊपर से शादी-वाले मौसम में बढ़ी मांग ने कीमतों को और ज्यादा बढ़ा दिया है। फिलहाल स्थिति ऐसी है कि लोग जरूरत के हिसाब से थोड़ा-बहुत खरीदकर काम चला रहे हैं, और उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में बाजार फिर से सामान्य हो जाए।
खुदरा कीमतें और राज्यवार स्थिति
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 19 अक्टूबर से 19 नवंबर के बीच पूरे भारत में टमाटर की औसत खुदरा कीमत ₹36 से बढ़कर ₹46 प्रति किलो हो गई। चंडीगढ़ में 112% तक की बढ़ोतरी देखी गई, वहीं कर्नाटक, हिमाचल और आंध्र प्रदेश में मासिक वृद्धि 40% से अधिक रही। कुछ स्थानों पर अच्छे क्वालिटी वाले टमाटर ₹80 प्रति किलो तक बिक रहे हैं।
मांग और आपूर्ति का असंतुलन
शादी और त्योहारी सीजन की मांग बढ़ी, लेकिन भारी बारिश ने आपूर्ति को बुरी तरह प्रभावित किया। कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात से दिल्ली के आजादपुर मंडी में आने वाले ट्रकों की संख्या आधी रह गई। किसानों की फसलें बारिश में खराब हो गईं, जिससे आपूर्ति संकट और बढ़ गया।
पिछले महीने टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें गिरने से खुदरा महंगाई केवल 0.25% रही थी, जो 2013 के बाद सबसे कम थी। लेकिन अब आपूर्ति बाधित होने से महंगाई फिर बढ़ने लगी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि उपभोक्ताओं की जेब पर इसका असर जल्द दिखाई देगा।
बाजार और भविष्य की स्थिति
यदि मौसम में सुधार नहीं हुआ तो फसल की आपूर्ति सामान्य होने में समय लगेगा और कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं। शादी और त्योहारों के कारण मांग में तेजी बनी रहेगी। सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप कर सकती है।