भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वॉयस कॉल और एसएमएस के जरिए बढ़ते वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें रेगुलेटेड एंटिटीज (REs) को 31 मार्च तक कड़े सुरक्षा उपायों को अपनाने के लिए कहा गया है। आरबीआई ने जो उपाय तय किए हैं, उससे मोबाइल नंबर के गलत इस्तेमाल से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने की कोशिश की गई है जिनका इस्तेमाल आमतौर पर डिजिटल लेन-देन में धोखाधड़ी में होता है। इसके तहत कॉमर्शियल कॉल्स या मैसेजेज के लिए रजिस्ट्रेशन और नंबर सीरीज को लेकर नियम तय किए गए हैं। आरबीआई और ट्राई की कोशिश फर्जी गतिविधियों में मोबाइल नंबरों के गलत इस्तेमाल को रोकते हुए भारत के बढ़ते डिजिटल फाइनेंशियल इकोसिस्टम को सुरक्षित करने की है।
आरबीआई के नए नियमों में एक तो ये है कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) के मोबाइल नंबर रिवोकेशन लिस्ट (MNRL) का बैंक, एनबीएफसी और पेमेंट एग्रीगेटर्स इस्तेमाल करेंगे ताकि अवैध या बंद पड़ चुके मोबाइल नंबरों से जुड़े एक्सेस को हटाया जा सके। साथ ही इनसे जुड़े खातों पर नजर रखना होगा ताकि इनके गलत इस्तेमाल को रोका जा सके। आरबीआई ने ग्राहकों को इन नियमों के बारे में अपने ग्राहकों को ईमेल, एसएमएस और क्षेत्रीय भाषाओं में देकर जागरूक करने को कहा है।
जल्द ही इन नंबरों से आएंगे कंपनियों के कॉल्स
आरबीआई ने तय किया है कि अब बैंकों, स्टॉक ब्रोकर्स और बाकी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के साथ-साथ छोटे-बड़े कारोबारियों को कॉमर्शियल मैसेजेज के लिए 140/160 नंबरिंग सीरीज से वॉइस कॉल करना होगा। इसका मतलब है कि जल्द ही सर्विसे और ट्रांजैक्शनल मैसेज ‘1600xx’ और प्रमोशनल कॉल्स ‘140xx’ जैसे नंबरों से आएंगे। इससे पता चल जाएगा कि कौन रजिस्टर्ड है और कौन नहीं।
एंटिटीज को रजिस्टर कराना होगा अपना कस्टमर केयर नंबर
आरबीआई के नए नियमों के मुताबिक एंटिटीज को अपना कस्टमर केयर नंबर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) के संचार साथी पोर्टल पर रजिस्टर कराना होगा। यह नियम पारदर्शिता बढ़ाने और ग्राहकों को फर्जी नंबर पहचानने में मदद करने के लिए लाया गया है। अनचाहे कॉमर्शियल कम्युनिकेशन को रोकने के लिए सभी एंटिटीज को ट्राई के डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा, एसएमएस और कॉल के लिए पहले से ही तय टेम्पलेट्स का इस्तेमाल करना होगा, और प्रचार संदेशों के लिए ग्राहकों से स्पष्ट तौर पर डिजिटल सहमति हासिल करनी होगी। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि ऐसे टेलीमार्केटर्स पर लगाम कसना है जो रेगुलेटेड नहीं हैं और हर कम्युनिकेशन के ट्रेस किया जा सके। आरबीआई के नए नियमों के तहत एंटिटीज को सिक्योरिटी में किसी भी सेंध के बारे में खुलासा करना अनिवार्य होगा।