आर्थिक संकट के समय रोजगार छूटना, मेडिकल इमरजेंसी या अन्य अप्रत्याशित खर्चों से निपटना आसान नहीं होता। ऐसे में एक मजबूत इमरजेंसी फंड जीवन में वित्तीय सुरक्षा और मानसिक शांति दोनों प्रदान करता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कम से कम तीन से छह महीने के मासिक खर्च के बराबर फंड अलग रखें।
इमरजेंसी फंड आपको पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता से बचाता है, जिससे वित्तीय बोझ कम होता है। इस फंड से अस्पताल के बिल, नौकरी छूटने जैसी स्थिति में आपकी रोजमर्रा की ज़रूरतें पूरी होती हैं और बाकी बचत सुरक्षित रहती है।
सबसे पहले अपने मासिक खर्चों का हिसाब लगाएं, जिसमें किराया, बीमा, लोन भुगतान, खान-पान आदि शामिल हों। इसे 3 से 6 महीनों से गुणा करें और वही आपकी बचत का लक्ष्य हो। इसे जल्दी पाने की कोशिश न करें, बल्कि छोटे-छोटे मासिक या त्रैमासिक लक्ष्य बनाएं।
अपने वेतन खाते से अलग एक उच्च-ब्याज बचत खाता या लिक्विड म्यूचुअल फंड में ऑटोमैटिक ट्रांसफर सेट करें। गैरजरूरी खर्चों में कटौती करें, जैसे बाहर खाना या अनावश्यक सब्सक्रिप्शन, और वो बचत अपने इमरजेंसी फंड में डालें।
इमरजेंसी फंड का उपयोग केवल वास्तविक आपात स्थितियों के लिए करें, जैसे मेडिकल इमरजेंसी, अचानक नौकरी छूटना या घर के बड़े मरम्मत काम। छुट्टियों या शौक के लिए इसका उपयोग न करें ताकि यह हमेशा उपलब्ध रहे।
इमरजेंसी फंड जीवन की अनिश्चितताओं में सुरक्षा कवच का काम करता है। नियमित बचत और समझदारी से इसे बनाकर आप लंबे समय तक आर्थिक संकटों से सुरक्षित रह सकते हैं और मानसिक शांति पा सकते हैं।