फाइनेंस बिल में संशोधन से डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों पर बढ़ेगा बोझ, जानिए 1 अप्रैल से क्या बदलाव होगा

सरकार म्यूचुअल फंड्स की डेट स्कीमों से जुड़े टैक्स के नियम में बदलाव करने जा रही है। यह बदलाव 1 अप्रैल 2023 से लागू हो जाएगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बदलाव से टैक्स के मामले में बैंक एफडी और डेट एमएफ के बीच का अंतर खत्म हो जाएगा

अपडेटेड Mar 24, 2023 पर 9:54 PM
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इनवेस्टर्स इंडेक्सेशन बेनेफिट की वजह से डेट, गोल्ड और इंटरनेशनल फंड्स में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाते थे।

म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) की डेट स्कीमों (Debt Scheme) का अट्रैक्शन घटने जा रहा है। दरअसल, सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसके चलते डेट म्यूचुअल फंड्स के टैक्स नियम बदलने जा रहे हैं। इसे डेट फंड्स के लाखों इनवेस्टर्स के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, सरकार ने फाइनेंस बिल 2023 (Finance bill 2023) में एक प्रस्ताव पेश किया है। इसमें कहा गया है कि म्यूचुअल फंड्स की ऐसी स्कीमें जो शेयरों में 35 से ज्यादा फंड का निवेश नहीं करती हैं, उनसे होने वाले मुनाफे को अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा। यह नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू होगा। इससे डेट फंड्स में 3 साल से ज्यादा के निवेश पर इंडेक्सेशन का बेनेफिट नहीं मिलेगा। वे 20 फीसदी टैक्स रेट का भी फायदा नहीं उठा सकेंगे।

टैक्स मामले में अंतर खत्म हो जाएगा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार टैक्स के मामले में बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट और डेट म्यूचुअल फंड्स के बीच के अंतर को खत्म करना चाहती है। इनवेस्टर्स इंडेक्सेशन बेनेफिट की वजह से डेट, गोल्ड और इंटरनेशनल फंड्स में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाते थे। फिक्स्ड इनकम कैटेगरी और टारगेट मैच्योरिटी फंड्स में चूंकि ज्यादा रिटेल इनवेस्टर्स दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं, जिससे इसका असर इंटरनेशनल क्लाइंट्स और HNI इनवेस्टर्स पर पड़ेगा।


लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स पर पड़ेगा असर

Edelweiss AMC की मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव अफसर राधिका राव ने कहा कि सरकार के इस फैसले का विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, "डेट फंड्स की हमारे पोर्टफोलियो में बड़ी हिस्सेदारी है। इनके जरिए बॉन्ड्स मार्केट्स में काफी पैसा जाता था। बॉन्ड मार्केट में लिक्विडिटी लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है। इससे बॉन्ड के लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स पर असर पड़ेगा।"

इंडेक्सेशन बेनेफिट निवेशकों को अट्रैक्ट करता था

एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि सरकार के इस प्रस्ताव से टैक्स के मामले में बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट और डेट म्यूचुअल फंड्स एक जैसे हो जाएंगे। अभी टैक्स के लिहाज से बैंक एफडी के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना फायदेमंद है। इसकी सबसे बड़ी वजह इंडेक्सेशन है। इंडेक्सेशन बेनेफिट की वजह से इनफ्लेशन के असर का ध्यान टैक्स लगाने में रखा जाता है। उधर, बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में इनवेस्टर्स के टैक्स-स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।

अभी क्या है नियम?

अभी डेट फंड्स के इनवेस्टर्स तीन साल तक के निवेश पर हुए कैपिटल गेंस पर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाते हैं। निवेश पीरियड तीन साल से ज्यादा होने पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी टैक्स लगता है। इंडेक्सेशन बेनेफिट के बगैर 10 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है। इसका सीधा मतलब है कि इनवेस्टर्स जिस सबसे बड़ी वजह से डेट फंड्स में निवेश करते थे, वह अब खत्म हो जाएगी।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Mar 24, 2023 11:46 AM

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