सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने विड्रॉल के नए नियमों का बचाव किया है। उन्होंने मनीकंट्रोल को बताया कि सरकार का यह मानना है कि ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को उसके ईपीएफ अकाउंट में जमा पैसे पर हर साल इंटरेस्ट मिलना चाहिए। इसलिए नौकरी छोड़ने के बाद ईपीएफ में जमा पैसे को निकालने के लिए टाइम पीरियड को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है।
12 महीने बाद पैसे निकालने पर इंटरेस्ट का फायदा मिलेगा
पूरे पैसे के विड्रॉल के टाइम पीरियड बढ़ाने के पीछे की वजह पूछने पर अधिकारी ने कहा, "सब्सक्राइबर्स के 12 महीने बाद ही पूरे पैसे निकालने से उसके अकाउंट में कम से कम एक बार इंटरेस्ट का पैसा आएगा।" नए नियमों के मुताबिक, सब्सक्राइबर्स को अपने अकाउंट में कम से कम 25 फीसदी बैलेंस बनाए रखना होगा। नौकरी छोड़ने पर भी यह नियम लागू होगा। यह पीरियड 12 महीने का होगा, जो पहले 2 महीने का था।
सब्सक्राइबर्स 2 महीने बाद ही निकाल लेते हैं पैसे
इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी ईपीएफओ सब्सक्राइबर के अकाउंट में 10,000 रुपये जमा हैं। सब्सक्राइबर बेरोजगार रहने के एक साल तक इसमें से सिर्फ 7,500 रुपये निकाल सकता है। अधिकारी ने कहा कि उसके अकाउंट में जमा 2,500 रुपये पर इंटरेस्ट का पैसा मिलेगा। उन्होंने कहा, "यह देखा गया है कि नौकरी छोड़ने के 2 महीने बाद सब्सक्राइबर्स पूरा पैसा निकाल लेते हैं। उसके बाद जल्द सब्सक्राइबर की फिर से नौकरी लग जाती है। ऐसे मामलों में उसे इंटरेस्ट का फायदा नहीं मिलता है।"
पूरे पैसे निकाल लेने से बड़ा फंड तैयार नहीं हो पाता
उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि सब्सक्राइबर्स को इंटरेस्ट का पूरा फायदा मिलना चाहिए। इससे उसका फंड बढ़ेगा। EPFO के डेटा बताते हैं कि ईपीएफ के 50 फीसदी मेंबर्स के अकाउंट में सेटलमेंट के वक्त 20,000 रुपये से कम फंड होता है। 87 फीसदी मेंबर्स के अकाउंट में फाइनल सेटलमेंट के वक्त 1 लाख रुपये से कम पैसे होते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि सब्सक्राइबर्स ऐसा फंड तैयार करने में नाकाम रहते हैं, जो बाद में उनके काफी काम आ सकता है। इस वजह से सरकार ने पूरे पैसे निकालने के पीरियड को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने किया है।
ईपीएफओ के करीब 7.5 लाख एक्टिव सब्सक्राइबर्स हैं
सूत्रों ने बताया कि ईपीएफओ के पास सब्सक्राइबर्स का कुल 26 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। ईपीएफओ के कुल एक्टिव सब्सक्राइबर्स की संख्या करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये है। एक्टिव सब्सक्राइबर्स का मतलब ऐसे लोगों से हैं, जो अभी नौकरी में हैं और जिनकी सैलरी से हर महीने एक फिक्स्ड अमाउंट ईपीएफ अकाउंट में जमा होता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईपीएफओ का पूरे पैसे निकालने के लिए टाइम लिमिट बढ़ाने का फैसला सही लगता है।