एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) ने विड्रॉल के नियमों में बदलाव का बचाव किया है। उसने ईपीएफ अकाउंट में मिनिमम 25 फीसदी बैलेंस बनाए रखने के नियम को संतुलित और समझदारी भरा फैसला बताया है। उसने कहा है कि यह ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स के लंबी अवधि और रिटायरमेंट फंड को ध्यान में रखकर लिया गया है।
सब्सक्राइबर्स के हित में लिया गया फैसला
सेंट्रल प्रोविडेंट फंड कमिश्नर और EPFO के सीईओ रमेश कृष्णमूर्ति ने कहा कि यह नियम ईपीएफ में जमा पैसे तक सब्सक्राइबर्स की पहुंच आसान बनाने और रिटायरमेंट से पहले अपनी पूरी सेविंग्स निकालने से रोकने के लिए लिया गया है। उन्होंने सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में कहा, "इस बदलाव का मकसद लोगों को जरूरत पड़ने पर पीएफ में जमा पैसे के इस्तेमाल का मौका देना है। लंबी अवधि में सोशल सिक्योरिटी के लिए फंड को बचाए रखने की भी कोशिश की गई है।"
सीबीटी ने 13 अक्टूबर को नए नियमों को दी थी मंजूरी
ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने 13 अक्टूबर को जिन प्रस्तावों को मंजूरी दी है, उसके तहत सब्सक्राइबर्स एसेंशियल नीड्स, हाउसिंग नीड्स और खास स्थितियों में ईपीएफ अकाउंट में जमा 75 फीसदी पैसे निकाल सकते हैं। 25 फीसदी पैसा अकाउंट में मिनिमम रिटायरमेंट बफर के रूप में बनाए रखना होगा। इस पर सालाना 8.25 फीसदी इंटरेस्ट मिलता है।
बार-बार पैसे निकालने का सोशल सिक्योरिटी पर असर
कृष्णामूर्ति ने कहा कि बार-बार पैसे निकालने से सब्सक्राइबर्स के सोशल सिक्योरिटी पर असर पड़ता है। ईपीएफओ के डेटा के मुताबिक, करीब आधे सदस्यों के फाइनल सेटलमेंट पर 20,000 रुपये से भी कम पैसे बचे हैं। 75 फीसदी पेंशन कंट्रिब्यूशन तीन साल के अंदर निकाल लिया जाता है। एंप्लॉयीज की खास चिंता उस नियम को लेकर है, जिसमें कहा गया है कि एंप्लॉयी नौकरी छोड़ने के 12 महीने बाद ही ईपीएफ में जमा पैसा निकाल सकेगा।
अचानक नौकरी जाने पर एंप्लॉयीज को आ सकती है दिक्कत
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस नियम से अचानक नौकरी जाने की स्थिति में एंप्लॉयीज को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। खासकर आईटी सहित कुछ खास सेक्टर में एंप्लॉयीज की छंटनी को देखते हुए यह नियम काफी दिक्कत पैदा कर सकता है। हालांकि, ईपीएफओ इस दलील को मानने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि एक साल पूरा होने पर ईपीएफ में जमा कुछ पैसा निकालने की इजाजत है। इलाज, एजुकेशन, शादी या खास स्थितियों में सब्सक्राइबर्स इस पैसे को निकाल सकते हैं।
कुछ एंप्लॉयीज नौकरी जाने पर पूरे पैसे निकाल लेते हैं
कृष्णमूर्ति ने कहा, "12 महीने का नियम दरअसल पेंशन की एलिजिबिलिटी के लिए है, क्योंकि कई मेंबर्स कुछ ही समय के बाद पीएफ में जमा पूरे पैसे निकाल लेते हैं। अगर कोई व्यक्ति 12 महीने तक बेरोजगार रहता है तो वह अकाउंट में रिजर्व 25 फीसदी पैसा भी निकाल सकता है।" इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सुचिता दत्ता ने कहा कि यह नियम अनुशासन के लिहाज से ठीक है लेकिन इससे छंटनी में नौकरी गंवाने वाले लोगों को दिक्कत होगी।