सस्ता और टिकाऊ! आखिर क्या है डेमी-फाइन ज्वेलरी, जो बदल रही गहनों की दुनिया?

Demi-fine Jewellery: महंगा होता सोना अब रोजमर्रा के गहनों की राह में रुकावट बन रहा है। ऐसे में डेमी-फाइन ज्वेलरी एक नया ट्रेंड बनकर उभरी है- स्टाइलिश, सस्ती और टिकाऊ, जो परंपरा और फैशन को एक साथ जोड़ती है। आइए जानते हैं कि डेमी-फाइन ज्वेलरी क्या है और इसका ट्रेंड क्यों जोर पकड़ रहा है।

अपडेटेड May 11, 2025 पर 7:12 PM
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भारतीय ज्वेलरी बाजार 2030 तक 155 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

Demi-fine Jewellery: भारत में गहनों का मतलब बस जेवर नहीं होता। ये रिश्तों और जज्बात की तरह होते हैं। शादी की चूड़ी मां देती है, कंगन दादी की अलमारी से निकलते हैं। हर गहने में किसी न किसी की याद जुड़ी होती है। लेकिन, अब भारत में 24 कैरेट सोना ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के आसपास घूम रहा है। अगर शनिवार, 10 मई 2025 की बात करें, तो 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का भाव 98,500 रुपये था। इसका मतलब है कि अब गोल्ड में निवेश करना, नए-नए जेवर खरीदना और उन्हें बदल-बदलकर पहनना हर किसी के बस की बात नहीं रह गई है।

ऐसे में महिलाओं के बीच एक एक नई सोच चुपचाप अपनी जगह बना रही है, 'गहना सिर्फ इन्वेस्टमेंट क्यों हो? फैशन क्यों नहीं?' यहीं से आती है डेमी-फाइन ज्वेलरी, न पूरी तरह सोना, न सिर्फ नकली। थोड़ा स्टाइल, थोड़ा गोल्ड, और बहुत सारा अपनापन।

अब स्टाइल से समझौते की जरूरत नहीं


PALMONAS की को-फाउंडर पल्लवी मोहादिकर जब अपना ब्रांड शुरू कर रही थीं, तो उनके दिमाग में एक बहुत सिंपल सवाल था, "अगर कोई वर्किंग विमन रोज ऑफिस जा रही है, शादी नहीं कर रही, या इनवेस्टमेंट की नहीं सोच रही, तो क्या वो गहना नहीं पहन सकती?"

उनका अपने सवालों पर जवाब था, 'बिल्कुल पहन सकती है, लेकिन उसे चाहिए ऐसा गहना जो जेब पर भारी न पड़े, फिर भी दिल को छू जाए।' आज पल्लवी की कंपनी हर महीने लाखों पीस बेच रही है। और वो अकेली नहीं हैं। देश के छोटे शहरों जैसे नागपुर, उज्जैन, रांची से भी ऑर्डर आ रहे हैं। ये सिर्फ ट्रेंड नहीं है, एक सोच भी है जो बदल रही है।

डेमी-फाइन ज्वेलरी आखिर है क्या?

सोचिए, ऐसा हार जो दिखे बिल्कुल गोल्ड जैसा, लेकिन उसकी कीमत महंगे मोबाइल के कवर से बस थोड़ी ज्यादा हो। या ऐसी अंगूठी, जिसमें थोड़ा गोल्ड हो, मगर डिजाइन ऐसा हो कि फ्रेंड्स भी पूछें, "इतनी क्यूट रिंग कहां से ली?" डेमी-फाइन ज्वेलरी बिल्कुल यही करती है। ये न सस्ता दिखता है और न ही जेब खाली करने जितना महंगा होता है। जैसा कि आजकल सोना हो गया।

डेमी-फाइन ज्वेलरी का ट्रेंड क्यों बढ़ रहा?

कई बार लोग कहते हैं, सोना ही असली गहना है। खासकर, पुरानी पीढ़ी की बात करें तो। लेकिन, नई जेनरेशन डिजाइन देखती है, स्टाइल देखती है। उसका फलसफा है कि हर चीज इन्वेस्टमेंट नहीं होती। कुछ चीजें खुद के लिए भी होती हैं।” इसे नए जमाने के भारत की कहानी भी कह सकते हैं, जहां परंपरा और स्टाइल साथ चल रहे हैं।

डेमी-फाइन ज्वेलरी का आसान नहीं है रास्ता

अगर चुनौतियों की बात करें, तो डेमी-फाइन ज्वेलरी को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत है, भरोसा। अभी तक जनता इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पाई है। ग्राहक अक्सर पूछते हैं, 'ये असली है या नहीं? टिकेगा या नहीं?' लेकिन ब्रांड्स भी इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। इंस्टाग्राम पर खूबसूरत वीडियो, रियल स्टोर्स, और माउथ पब्लिसिटी के जरिए वे यकीन दिला रहे हैं कि डेमी-फाइन सिर्फ ट्रेंड नहीं, नया स्टैंडर्ड बन सकता है।

तो क्या सोने की चमक फीकी पड़ रही है?

बिलकुल नहीं। सोना तो हमेशा राजा रहेगा। डेमी-फाइन ज्वेलरी को आप नन्हें राजकुमार या राजकुमारी की तरह समझ जाते हैं। यह थोड़ी कम कीमती है, लेकिन उतनी ही खास। Deloitte की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय ज्वेलरी बाजार 2030 तक 155 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। उसमें डेमी-फाइन का हिस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।

अब आने वाले सालों में क्या होगा?

AI के जरिए पर्सनलाइज डिजाइन, लैब-ग्रो डायमंड्स की तरफ रुझान, और सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान... ये सब डेमी-फाइन को और आगे ले जाएगा। अब लोग समझने लगे हैं कि रोज पहनने वाला गहना भी स्टाइलिश, टिकाऊ और अफोर्डेबल हो सकता है। और शायद किसी दिन कोई मां अपनी बेटी को डेमी-फाइन ज्वेलरी का मंगलसूत्र देते हुए कहे, "इसे मैंने तब लिया था, जब मैंने पहली बार खुद के लिए कुछ खरीदा था। अब ये तुम्हारी अमानत है।"

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: May 11, 2025 7:12 PM

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