डिजीलॉकर अब सिर्फ एक डिजिटल डॉक्यूमेंट स्टोरेज प्लेटफार्म नहीं रह गया है, बल्कि भारत के डिजिटल गवर्नेंस की रीढ़ बन चुका है। मंत्रालय द्वारा हाल ही में घोषित किया गया है कि डिजीलॉकर में एआई आधारित ईकेवाईसी और वैश्विक क्रेडेंशियल वेरिफिकेशन फीचर्स जोड़े जाएंगे, जो इसे और अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और तेज बनाएंगे।
इस प्लेटफार्म के जरिये नागरिक अब सरकारी और निजी विभागों से जुड़े हजारों सेवाओं का लाभ बिना कागजी कार्रवाई के उठा सकते हैं। डिजिटल इंडिया की इस यात्रा में डिजीलॉकर ने 15 करोड़ से ज्यादा उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीत लिया है और अब यह शिक्षा, पेंशन, टैक्सेशन, हेल्थ और वित्तीय सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
नई तकनीक खासतौर पर पहचान सत्यापन में मदद करेगी, जहां एआई की मदद से चेहरे की मिलान तकनीक और अन्य उन्नत विधियां उपयोग की जाएंगी। इससे धोखाधड़ी का जोखिम कम होगा और कस्टमर्स के लिए सेवा प्रक्रिया बहुत तेज और सरल हो जाएगी। इसके अलावा, डिजीलॉकर विभिन्न राज्यों के ट्रेजरी और पेंशन सिस्टम से जुड़ा है, जिससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है।
डिजीलॉकर की इस नई पहचान को देश के कई राज्यों ने अपनाया है, जो इसे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक मॉडल बना रहा है। मंत्रालय का लक्ष्य है कि डिजिटल इंडिया के तहत हर डिजिटल इंटरैक्शन विश्वसनीय, हर नागरिक सशक्त, और हर संस्था जवाबदेह बने।
इस पहल से न केवल आम जनता को फायदा होगा, बल्कि सरकारी सेवाओं की दक्षता भी बढ़ेगी और भारत की डिजिटल गवर्नेंस विश्व के लिए मिसाल बनेगी। डिजीलॉकर का यह अगला कदम देश को कनेक्टिविटी से कॉम्पेटेंसी, सेवा से आत्मनिर्भरता, और अंततः ट्रस्ट-आधारित डिजिटलाइजेशन की ओर ले जाएगा।