Education Loan Rates: आज के समय में अच्छी पढ़ाई करना पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है। बच्चों के नाम किसी नामी कॉलेज में एडमिशन से जहां परिवार खुश होता है, वहीं पढ़ाई का खर्च कई गुना बढ़ जाता है। ट्यूशन फीस, हॉस्टल चार्ज, किताबें और दूसरे खर्च मिलाकर अब हायर एजुकेशन का खर्च कई लाखों से लेकर 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। ऐसे में ज्यादातर परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी करने के लिए एजुकेशन लोन का सहारा लेते हैं।
देश के सरकारी और प्राइवेट बैंक के साथ-साथ NBFC यानी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां भी एजुकेशन लोन देती हैं। इन लोन में कोर्स पूरा होने के बाद एक मोरेटोरियम पीरियड मिलता है, यानी छात्र को नौकरी मिलने तक EMI चुकाने की जरूरत नहीं होती।
प्रधानमंत्री विद्यार्थी लक्ष्मी योजना (PM Vidyalaxmi Scheme)
भारत सरकार ने मेधावी छात्रों के लिए प्रधानमंत्री विद्यार्थी लक्ष्मी योजना (PM Vidyalaxmi) शुरू की है। इस योजना के तहत देश के 860 टॉप एजुकेशन इंस्टीट्यूट (QHEIs) में एडमिशन लेने वाले छात्रों को बिना जमानत (Collateral-Free) एजुकेशन लोन की सुविधा दी जाती है। इस स्कीम का लाभ सालाना पारिवारिक इनकम के आधार पर दिया जाता है। इसमें ब्याज सब्सिडी (Interest Subsidy) भी मिलती है। यह सुविधा सभी शेड्यूल्ड बैंक, रीजनल रूरल बैंक (RRB) और कोऑपरेटिव बैंकों में मिलती है। लोन लेने से पहले इन ब्याज दरों की तुलना करना जरूरी है ताकि छात्र और उनके अभिभावक को सबसे किफायती ऑफर मिल सके।
आयकर अधिनियम की धारा 80E के तहत एजुकेशन लोन पर दिए गए ब्याज की पूरी रकम पर टैक्स छूट मिलती है। अगर आप या आपका बच्चा हायर एजुकेशन के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं, तो ब्याज दर, मोरेटोरियम पीरियड और टैक्स बेनिफिट्स को ध्यान में रखकर फैसला करें। सही बैंक चुनने से पढ़ाई का बोझ थोड़ा हल्का हो सकता है।
2025 में अलग-अलग बैंकों की एजुकेशन लोन
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) एजुकेशन लोन पर 7.15% से 10.15% वार्षिक ब्याज दर लेता है।
एचडीएफसी बैंक की ब्याज दर 10.50% सालाना है।
आईसीआईसीआई बैंक की ब्याज दरें 9.00% से 10.25% के बीच रहती हैं।
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) एजुकेशन लोन पर 8.55% ब्याज दर प्रदान करता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) की दरें 7.10% से 9.95% तक हैं।
वहीं कैनरा बैंक की ब्याज दरें 7.10% से 10.35% सालाना तक जाती हैं।
सरकारी बैंकों की ब्याज दरें प्राइवेट बैंकों की तुलना में थोड़ी कम हैं, जिससे एजुकेशन लोन लेने वालों को सस्ती फंडिंग के विकल्प मिलते हैं।