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GST सुधार के बाद भी ग्राहकों को राहत नहीं, कंपनियों की नई Strategy ने मार्केट में बढ़ाई टेंशन

GST सुधार के बाद 22 सितंबर से कई वस्तुओं पर टैक्स दर कम होकर 5% और 18% रह गई है, जिससे रोजमर्रा के खर्चों में आम जनता को राहत मिली है। हालांकि कुछ पैक्ड फूड आइटम्स पर कंपनियों ने वजन बढ़ाकर ग्राहकों को सही फायदा नहीं पहुंचाया है, लेकिन बाकी सामान पर कीमतें कम हो रही हैं।

अपडेटेड Sep 24, 2025 पर 6:54 PM
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जीएसटी रिफॉर्म के तहत दरें कम की गईं, लेकिन कई कंपनियां ग्राहकों को सीधे फायदा पहुंचाने की जगह पैक के वजन को बढ़ाकर फायदा कम कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर, कुछ फूड पैकेट जैसे घी, जूस, सॉस, नमकीन आदि पर टैक्स घटा है, लेकिन पुराने मूल्य के साथ नए वजन वाले पैकेट बाजार में आ रहे हैं, जिससे ग्राहकों को असली फायदा नहीं मिल पा रहा है।

22 सितंबर 2025 से लागू हुई नई GST दरों में 5% और 18% के स्लैब में बदलाव हुआ है, जबकि पुराने 12% और अन्य स्लैब खत्म कर दिए गए हैं। इस बदलाव का मकसद दैनिक जरूरत की वस्तुओं पर कर को कम करके उपभोक्ताओं को राहत देना था। लेकिन दुकानदारों की चालाकी की वजह से जो राहत ग्राहकों तक पहुंचनी चाहिए थी, वह घटती हुई मात्रा के कारण आर्थिक रूप से प्रभावित हो रही है।

रिटेल व्यापारियों का कहना है कि कंपनियां अब दाम कम करने की बजाय वजन बढ़ाकर ग्राहकों को भ्रमित कर रही हैं। जैसे, पहले 20 रुपये के एक केक का वजन 44 ग्राम था, जो अब 50 ग्राम कर दिया गया है, जिससे कीमतों में कमी का झूठा भास पैदा हो रहा है। इससे क्रेता वर्ग और मार्केट दोनों असंतुष्ट हैं।


सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि GST सुधार का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचना आवश्यक है और यदि कोई कंपनियां नियमों का उल्लंघन करती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति अस्थायी है और जल्द ही बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी, साथ ही कंपनियां और व्यापारी सही दिशा में कदम उठाएंगे।

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