देश में हाल ही में लागू हुए GST 2.0 को लेकर सरकार की उम्मीद थी कि इसका सीधा फायदा देश के आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा, लेकिन हकीकत इससे उलट दिख रही है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) के पास टैक्स कटौती के बाद 3,000 से ज्यादा शिकायतें आई हैं, जिसमें उपभोक्ता लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें जीएसटी दरों में हुई कमी का लाभ नहीं मिल रहा है।
इन शिकायतों में सबसे बड़ी चिंता यही है कि कई रिटेलर और सर्विस प्रोवाइडर सरकार द्वारा की गई टैक्स कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रहे। कई बार ग्राहक से वही ज्यादा दर वसूली जा रही है, जो कटौती से पहले लागू थी या प्रोडक्ट के अंतिम दाम में कोई बदलाव नहीं दिख रहा। सरकार को इस बात की चिंता है कि कहीं उपभोक्ताओं को भ्रमित करने या गुमराह करने वाले डिस्काउंट ऑफर देने के नाम पर उनके साथ धोखा तो नहीं हो रहा।
इस समस्या को लेकर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कठोर कदम उठाए हैं। सभी शिकायतों को सेल्सपाइंट्स से लेकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) तक भेजा जा रहा है, जहां इन पर उचित कार्रवाई की जा रही है। मंत्रालय ने बताया है कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैटबॉट जैसे आधुनिक औजारों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि यह पहचाना जा सके कि किन सेक्टरों या क्षेत्रों में सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही हैं।
उपभोक्ता जागरूकता और आगे की राह
एक ओर जहां सरकार की मॉनिटरिंग बढ़ी है, वहीं उपभोक्ता भी पहले से ज्यादा सतर्क हुए हैं। हेल्पलाइन पर बढ़ती शिकायतों से पता चलता है कि लोगों में अपने अधिकारों को लेकर जागरूकता आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि तब तक यह दूरी बनी रहेगी जब तक रिटेलर्स पर प्रभावी दंडित कार्रवाई नहीं की जाती और टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता नहीं लाई जाती।
GST 2.0 के लागू होने के बाद सरकार को आम जनता से बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं कि रिटेलर्स जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचा रहे। ऐसे में अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सख्त मॉनिटरिंग और कार्रवाई के जरिए सुनिश्चित करे कि टैक्स सिस्टम का असली फायदा ग्राहकों तक पहुंचे।