भारत सरकार विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को सीधे भारतीय विक्रेताओं से उत्पाद खरीदकर विदेशी ग्राहकों को बेचने की अनुमति देने जा रही है। फिलहाल विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म केवल मार्केटप्लेस की तरह काम करते हैं, जो खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़कर कमीशन कमाते हैं। प्रस्तावित बदलाव से अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां घरेलू विक्रेताओं के उत्पादों को सीधे वैश्विक बाजारों में बेच सकेंगी, जिससे भारतीय व्यवसायों को निर्यात बढ़ाने का बड़ा मौका मिलेगा।
सरकार छोटे और मध्यम व्यवसायों (MSME) के लिए एक नई एक्सपोर्ट एंटिटी मॉडल पर काम कर रही है, जिसमें एक समर्पित निर्यात इकाई कस्टम क्लियरेंस, डॉक्यूमेंटेशन और लॉजिस्टिक्स जैसे कार्य अपनी जिम्मेदारी में लेगी। इससे छोटे व्यवसाय अपने उत्पादों और ब्रांड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। यह पहल ई-कॉमर्स निर्यात हब योजना से जुड़ी होगी, जो छोटे कारोबारियों की वैश्विक बाजार तक पहुंच को आसान बनाएगी और भारत के निर्यात को डाइवर्सिफाई करेगी।
हालांकि, इस बदलाव का विरोध कुछ छोटे व्यापारी संगठन कर रहे हैं, जो बड़ी विदेशी कंपनियों को छोटे कारोबार के लिए खतरा मानते हैं। सरकार ने साफ किया है कि यह छूट केवल निर्यात के लिए होगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल प्रतिस्पर्धा आयोग ने अमेजन पर कुछ विक्रेताओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था, लेकिन कंपनी ने इसे खारिज किया।
नियमों में बदलाव से भारत-यूएस व्यापार समझौते के मुद्दे सुलझाने में भी मदद मिल सकती है। अमेजन जैसी कंपनियां 2015 से भारतीय विक्रेताओं के एक्सपोर्ट में मदद कर रही हैं और 2030 तक निर्यात को 80 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखती हैं। सरकार की यह पहल भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने और छोटे व्यवसायों को निर्यात जगत में मजबूत बनाने के लिए अहम साबित होगी।