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Indian Currency: भारत के रुपये की अंतरराष्ट्रीय कारोबार में बढ़ती ताकत, RBI की नई रणनीतियों से बन रही नई तस्वीर

Indian Currency in International Trade: RBI के तीन बड़े फैसलों के बाद अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारतीय रुपये की हिस्सेदारी बढ़ेगी और डॉलर पर निर्भरता कम होगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक मजबूती और व्यापारियों को लाभ मिलेगा।

अपडेटेड Oct 04, 2025 पर 2:35 PM
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भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और इसका प्रभाव अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी महसूस किया जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में लिए गए तीन खास फैसलों से भारतीय रुपये की वैश्विक दबदबा बढ़ने की उम्मीद है। आरबीआई की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इन कदमों के जरिए विदेशी मुद्रा पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य रखा है, जिससे देश की मौद्रा नीति और वैश्विक व्यापार संबंधों को नया आयाम मिलने वाला है।

क्या हैं आरबीआई के तीन अहम कदम

पहला कदम यह है कि भारत के बड़े व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं के लिए पारदर्शी संदर्भ दरें तय की जाएंगी। इससे रुपया के लेन-देन में पारदर्शिता और भरोसा बढ़ेगा, और व्यापारी बिना किसी संशय के रुपये में बिजनेस करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।


दूसरा बड़ा कदम है कॉरपोरेट बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्रों में भारतीय रुपये में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ‘स्पेशल रुपया वॉस्ट्रो अकाउंट (SRVA)’ की व्यापक अनुमति। इस अकाउंट के जरिए विदेशी बैंक भारतीय बैंकों के साथ सीधे रुपये में व्यापार का निपटान कर पाएंगे। इससे न केवल अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम होगी, बल्कि अर्थव्यवस्था को विनिमय दर और मुद्रा संकट के जोखिम से भी सुरक्षा मिलेगी।

तीसरा निर्णय यह है कि अधिकृत भारतीय बैंक अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका के प्रवासी नागरिकों को द्विपक्षीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये में लोन दे पाएंगे। यह पहल छोटे पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक संबंधों को दृढ़ करने के साथ ही भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम है।

रुपये की बढ़ती साख और अर्थव्यवस्था पर असर

इन फैसलों का असर प्रत्यक्ष रूप से देश की मौद्रिक स्थिति और चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) पर पड़ेगा। जब विदेशी मुद्रा पर निर्भरता घटेगी तो चालू खाता घाटा नियंत्रण में रहेगा और देश की अर्थव्यवस्था बाह्य झटकों के सामने मजबूत बनी रहेगी। आरबीआई के अनुसार, भारत का बाह्य क्षेत्र अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है और जरूरत पड़ने पर बैंक उचित कदम उठाने के लिए तैयार है।

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने देश की GDP का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया है, जबकि मुद्रास्फीति आगामी तिमाहियों में 2.6% से 4.5% तक रहने की उम्मीद है। यह भारत के लिए आर्थिक स्थिरता और विकास के लिहाज से सकारात्मक संकेत है।

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