क्या आप अपने बच्चों को रुपये-पैसे से जुड़ी जरूरी बातें सीखा रहे हैं? एक्सपर्ट्स का कहना है कि जितना जरूरी बच्चों का स्कूल में एडमिशन और पढ़ाई है, उतना ही जरूरी पैसे-रुपये से जुड़ी समझ है। मातापिता बच्चों की स्कूली पढ़ाई पर तो ध्यान देते हैं लेकिन वे उन्हें रुपये-पैसे से जुड़ी बुनियादी बातें बताना जरूरी नहीं समझते। अगर बच्चों को बचपन से ही ये बातें बताई जाएंगी तो वे पैसे की कीमत समझेंगे, खर्च करने में सावधानी बरतेंगे और सेविंग्स की अहमियत जानेंगे। मनीकंट्रोल आपको कुछ जरूरी बातें बता रहा है, जिनके बारे में आपको बच्चों को बताना चाहिए।
जरूरत पड़ने पर कर्ज लेना खराब नहीं है। लेकिन, कर्ज (Loan) लेने पर हमें इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है, जिसे हम कर्ज की कॉस्ट कह सकते हैं। एजुकेशन लोन (Education Loan), कार लोन (Car Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan), होम लोन (Home Loan) से अपनी जिंदगी की बुनियादी जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन, इस कर्ज की काफी कीमत हमें चुकानी पड़ती है। हम कर्ज पर जो इंटरेस्ट चुकाते हैं, वह काफी ज्यादा होता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को हमें यह बताना चाहिए कि बहुत जरूरत पड़ने पर ही हमें कर्ज लेना चाहिए।
सेविंग्स एक आदत है। यह आदत जितनी जल्दी पड़ जाए उतना अच्छा है। अगर सेविंग्स की आदत बचपन में ही पड़ जाए तो इससे अच्छा क्या हो सकता है। नियमित रूप से सेविंग्स करने पर कुछ समय में काफी पैसा हम इकट्ठा कर सकते हैं, जो भविष्य में हमारे काम आएगा। अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर हमें किसी के आगे हाथ फैलाने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। बचपन से ही सेविंग की आदत पड़ने पर बच्चे खुद उसके फायदे समझने लगते हैं।
सेविंग्स से इकट्ठा हुए पैसे को निवेश करना बहुत जरूरी है। अगर सेविंग्स किए गए पैसे को हम घर में रखते हैं तो उसकी वैल्यू हर दिन घटती जाती है। इसकी वजह है इनफ्लेशन। इनफ्लेशन को हम महंगाई भी कह सकते हैं। महंगाई का स्वभाव बढ़ना है। आज की अर्थव्यवस्था में महंगाई का घटना अपवाद की तरह है। इनवेस्टमेंट पैसे को महंगाई के असर से बचाता है। निवेश पर रिटर्न मिलता है। अगर यह रिटर्न इनफ्लेशन के रेट से ज्यादा है तो पैसे की वैल्यू घटने की जगह बढ़ने लगती है। इससे हमारे पैसे की वैल्यू भी बढ़ती जाती है।
शेयर, म्यूचुअल फंड्स, सेविंग्स अकाउंट्स, रेकरिंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट, बॉन्ड्स जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के बारे में बच्चों को बताना जरूरी है। हर फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की अपनी खासियत होती है। हर प्रोडक्ट्स के साथ कम या ज्यादा रिस्क जुड़ा होता है। हर प्रोडक्ट्स का कम या ज्यादा रिटर्न होता है। इसके बारे में जानकारी होने से बच्चे हर प्रोडक्ट्स की अहमियत और उनके बीच के फर्क को समझने लगेंगे।
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इंश्योरेंस को ज्यादातर लोग सेविंग्स का जरिया समझते हैं। लेकिन, यह सच नहीं है। इंश्योरेंस का मकसद वित्तीय सुरक्षा देना है। जीवन बीमा किसी अनहोनी की स्थिति में परिवार को आर्थिक सुरक्षा देता है। स्वास्थ्य बीमा यानी हेल्थ इंश्योरेंस बीमार पड़ने पर इलाज पर आए खर्च की भरपाई करता है। इससे हमें इलाज के लिए अपनी सेविंग्स के पैसे का इस्तेमाल नहीं करता है। ये दोनों प्रोडक्ट्स हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी हैं।