नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ अकाउंट यानी प्रोविडेंट फंड उनकी रिटायरमेंट सुरक्षा का अहम साधन है। लेकिन देखा जा रहा है कि कई कर्मचारी बार-बार अपने पीएफ से पैसे निकाल रहे हैं, जिससे भविष्य में उन्हें वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ अकाउंट यानी प्रोविडेंट फंड उनकी रिटायरमेंट सुरक्षा का अहम साधन है। लेकिन देखा जा रहा है कि कई कर्मचारी बार-बार अपने पीएफ से पैसे निकाल रहे हैं, जिससे भविष्य में उन्हें वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बार-बार निकासी से कम होता है ब्याज लाभ
पीएफ अकाउंट में जमा रकम पर हर साल चक्रवृद्धि ब्याज (कम्पाउंड इंटरेस्ट) मिलता है। जब-जब पैसा निकाला जाता है, उसके बाद की बची रकम पर ही ब्याज जुड़ता है। बार-बार निकासी करने से जमा सौंप पर ब्याज घटता रहता है, जिससे लॉन्ग टर्म रिटर्न काफी कम हो जाता है।
सीमित विशेष निकासी के मौके
सरकार ने शिक्षा, शादी, घर बनाने या गंभीर बीमारी जैसी खास जरूरतों के लिए ही पीएफ से आंशिक निकासी की सुविधा दी है, और इनमें भी कई नियम और बार लिमिट हैं। अगर पहले ही बार-बार पैसों की निकासी हो चुकी है तो भविष्य में जरूरी समय पर निकासी में दिक्कत भी हो सकती है।
टैक्स का झंझट
अगर कर्मचारी 5 साल से पहले पीएफ अकाउंट से पैसा निकालते हैं, तो निकासी पर टैक्स भी देना पड़ता है। ज्यादा बार निकासी करने पर टैक्स संबंधी कागजी कार्यवाही और TDS कटने का भी झंझट बढ़ सकता है, जिससे बचत की गयी रकम कम हो जाती है।
इमरजेंसी में मदद नहीं
अगर बार-बार निकासी की जाए तो जरूरत के समय जैसे अचानक मेडिकल इमरजेंसी, जॉब छूटना या रिटायरमेंट—पीएफ अकाउंट में राशि कम या खाली रह जाती है। ऐसे में, निकासी की असली जरूरत के वक्त यह पैसा काम नहीं आता और व्यक्ति को वित्तीय संकट का जोखिम बढ़ जाता है।
रिटायरमेंट की योजना पर असर
पीएफ की सबसे बड़ी ताकत उसका रिटायरमेंट फंड होना है। बार-बार निकासी से रिटायरमेंट फंड छोटा रह जाता है, जिससे आगे चलकर जीवनशैली में समझौता करना या रिटायरमेंट टालना पड़ सकता है।
पीएफ से बार-बार पैसा निकालना सुविधाजनक तो है, मगर दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा के लिहाज से यह आदत भविष्य के लिए हानिकारक हो सकती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पीएफ रकम को सुरक्षित रखें और केवल बहुत आवश्यक परिस्थिति में ही इसका इस्तेमाल करें।
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