जियोपॉलिटिकल और इकोनॉमिक अनिश्चितता की वजह से अचानक गोल्ड की डिमांड बढ़ गई है। उधर, दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के गोल्ड में निवेश बढ़ाने से भी इसकी कीमतों को सपोर्ट मिला है। डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से भी इंडिया में सोना खरीदना महंगा हो गया है। गोल्ड में तेजी का काफी फायदा उन लोगों को मिला है, जो गोल्ड गिरवी रख लोन ले रहे हैं। इस बीच, आरबीआई के अनसेक्योर्ड लोन के नियमों को सख्त बनाने से भी गोल्ड लोन में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच गोल्ड का प्राइस 30 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है। इस दौरान आउस्टैंडिंग गोल्ड लोन 77 फीसदी बढ़ा है। गोल्ड लोन में एनपीए भी बढ़ रहा है।
तेजी से बढ़ते गोल्ड लोन को लेकर आरबीआई सतर्क
तेजी से बढ़ते गोल्ड लोन पर सरकार और RBI की करीबी नजरें हैं। आरबीआई ने पिछले हफ्ते एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसका मकसद गोल्ड लोन पर लगाम लगाना है। इसका व्यापक असर पड़ने वाला है। इस प्रस्ताव में कई अहम बातें शामिल हैं। गोल्ड लोन कंपनियों और बैंकों को गिरवी के रूप में प्राइमरी गोल्ड, गोल्ड बैक्ड फाइनेंशियल एसेट्स और रिप्लेज्ड गोल्ड लेने की इजाजत नहीं है। गोल्ड लोन कंपनी को यह देखना होगा कि लोन के पैसे का इस्तेमाल इनकम बढ़ाने के लिए होगा या किसी चीज को खरीदने के लिए होगा।
बुलेट रिपेमेंट के नियम पहले से ज्यादा सख्त होंगे
अगर कोई व्यक्ति कंजम्प्शन के लिए गोल्ड लोन लेता है और बुलेट रिपेमेंट का विकल्प चुनता है तो फिर इसके लिए नियम सख्त होंगे। जैसे इस लोन की अवधि मैक्सिम 12 महीने हो सकती है। लोन-टू-वैल्यू (LTV) के नियमों को भी सख्त बनाने का प्रस्ताव है। लोन टू वैल्यू का मतलब यह कि गोल्ड की कुल वैल्यू का कितना फीसदी लोन के रूप में दिया जा सकता है। एलटीवी के लिए 75 फीसदी की लिमिट बनी रहेगी। इस लिमिट का पालन लोन की पूरी अवधि तक करना होगा। अगर लोन की अवधि में एलटीवी इस लिमिट से 30 दिन से ज्यादा समय तक ज्यादा रहता है तो गोल्ड लोन कंपनी या बैंक को 1 फीसदी प्रोविजनिंग करनी होंगी।
लोन के पैसे के इस्तेमाल पर भी होगी नजर
अगर बैंक या गोल्ड लोन कंपनी ग्राहक को इनकम बढ़ाने के लिए लोन देती है तो ग्राहक के बिजनेस के कैश-फ्लो का आकलन करना होगा। इस प्रस्ताव में एवरग्रिनिंग की कोशिश पर लगाने की कोशिश की गई है। आरबीआई और सरकार तेजी से बढ़ते गोल्ड लोन को लेकर काफी संवेदनशील हैं। इसकी वजह यह है कि गोल्ड गिरवी रखकर कोई ग्राहक लोन लेने का फैसला तब करता है जब उसके पास पैसे जुटाने का कोई विकल्प नहीं रह जाता है।
बैंकों और एनबीएफसी को ज्यादा सावधानी बरतनी होगी
गोल्ड लोन में ज्यादा दिलचस्पी गांवों और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में दिखी है। इन इलाकों में लोगों की इनकम का स्रोत कृषि या छोटे व्यवसाय होते है। ऐसी इनकम कभी कम तो कभी ज्यादा हो सकती है। ऐसे में लोन देने में ज्यादा सावधानी जरूरी हो जाती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड लोन के नियमों को लेकर आरबीआई के प्रस्ताव का पालन पहले से एनबीएफसी करती आ रही हैं।