Gold Price Forecast: सोना जाएगा ₹1.20 लाख के पार! जेपी मॉर्गन ने बताया किस वजह से आएगी तूफानी तेजी

Gold Price forecast: जेपी मॉर्गन के अनुसार, सोने की कीमतों में 18% से अधिक उछाल आ सकता है। भारत में सोना ₹1.20 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। जानिए किस वजह से आ सकती है तेजी।

अपडेटेड Jun 19, 2025 पर 8:03 PM
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भारत में गुरुवार को 24 कैरेट सोने का भाव ₹1,01,210 प्रति 10 ग्राम था।

Gold Price forecast: सोने की कीमतों में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। दिग्गज ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन का मानना है कि अगले साल यानी 2026 की पहली छमाही तक गोल्ड के रेट में 18% से अधिक उछाल आ सकता है। भारत में गुरुवार (19 जून 2025) को 24 कैरेट सोने का भाव (Gold Price Today) ₹1,01,210 प्रति 10 ग्राम था। ऐसे में जेपी मॉर्गन के अनुमान के हिसाब से 2026 की पहली छमाही तक भारत में सोना ₹1.20 लाख प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकता है।

क्या है जेपी मॉर्गन का अनुमान?

जेपी मॉर्गन के ग्लोबल मैक्रो रिसर्च हेड लुइस ओगानेस (Luis Oganes) का मानना है कि सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिल सकती है। यह 2026 की पहली छमाही में ही $4,000 प्रति औंस तक पहुंच सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल सोने का भाव $3,365 प्रति औंस है। इस हिसाब से गोल्ड की कीमतों में 18.87% उछाल आने की गुंजाइश है।


क्यों बढ़ सकता है सोने का भाव?

CNBC-TV18 से बातचीत में ओगानेस ने बताया कि गोल्ड में रैली तेज होती जा रही है, क्योंकि दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अब करेंसी स्टेबिलिटी और वैश्विक वित्तीय दबाव को देखते हुए सोने की ओर रुख कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "अगर आप सोने की कीमतों को ट्रैक करें, तो $1,000 से $2,000 तक पहुंचने में 12 साल लगे। इसके बाद $2,000 से $3,000 पहुंचने में सिर्फ 4 साल लगे। अब ऐसा लग रहा है कि $3,000 से $4,000 तक जाने में एक साल से भी कम लग सकता है।"

सेंट्रल बैंक क्यों खरीद रहे हैं सोना?

ओगानेस के मुताबिक, गोल्ड पर बुलिश आउटलुक का सबसे बड़ा कारण यह है कि सेंट्रल बैंकों को अब यह डर सताने लगा है कि विकसित देशों की करेंसी धीरे-धीरे कमजोर हो सकती है, खासकर मौजूदा वित्तीय तनाव और अनियमितताओं के चलते। ऐसे में इमर्जिंग मार्केट्स के सेंट्रल बैंक तेजी से सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने बताया, 'विकसित देशों के सेंट्रल बैंकों में गोल्ड का हिस्सा कुल रिजर्व का लगभग 20% है। वहीं, उभरते बाजारों के सेंट्रल बैंकों में यह हिस्सा अब 9% हो गया है, जो कि 10 साल पहले सिर्फ 4% था। यह सिर्फ रिएक्शन नहीं, एक रणनीतिक बदलाव है।'

हर सेंट्रल बैंक खरीद रहा सोना

ओगानेस ने साफ किया कि डेवलप और इमर्जिंग मार्केट के कुल रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़ना कोई शॉर्ट टर्म मूव नहीं है, बल्कि फॉरेक्स रिजर्व की एक स्ट्रक्चरल रीबैलेंसिंग है, जिसमें गोल्ड को ज्यादा स्थिर और लॉन्ग टर्म एसेट माना जा रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि अब गोल्ड खरीदने वालों का दायरा भी बड़ा हो रहा है। विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों के सेंट्रल बैंक सोने की होल्डिंग बढ़ा रहे हैं, क्योंकि वे आज की मैक्रोइकॉनॉमिक चुनौतियों को लेकर चिंतित हैं।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jun 19, 2025 8:03 PM

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