Gold Price: 6 साल में तीन गुना बढ़ा सोने का दाम! अब थमेगी रफ्तार, एक्सपर्ट ने बताई बड़ी वजह

Gold Price: पिछले 6 साल में सोने की कीमत तीन गुना बढ़ी, लेकिन अब मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार गोल्ड ठहराव के दौर में जा सकता है। जानिए किस वजह से गोल्ड की कीमतों में अब अधिक तेजी नहीं देखने को मिलेगी।

अपडेटेड Jul 21, 2025 पर 11:32 PM
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2019 में भारत में सोने की कीमत करीब ₹30,000 प्रति 10 ग्राम थी, जो जुलाई 2025 तक बढ़कर ₹1 लाख से अधिक हो गई।

Gold Price: दिग्गज ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) ने अपनी लेटेस्ट गोल्ड स्ट्रैटेजी रिपोर्ट में कहा है कि सोने (Gold) की कीमतें अब कंसोलिडेशन फेज यानी ठहराव के दौर में जा सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जो फैक्टर पिछले कुछ साल में सोने के भाव को लगातार ऊपर ले जा रहे थे, वे अब काफी हद तक कीमतों में शामिल हो चुके हैं।

2019 में भारत में सोने की कीमत करीब ₹30,000 प्रति 10 ग्राम थी, जो जुलाई 2025 तक बढ़कर ₹1 लाख से अधिक हो गई। यानी इस 6 साल की अवधि में सोने ने 200% से ज्यादा रिटर्न दिया और इसकी कीमत तीन गुना अधिक हो गई।

MOFSL ने शुरुआत से ही बुलिश (Bullish) नजरिया बनाए रखा। इसने हर तिमाही और सालाना रिपोर्ट में अपने प्राइस टारगेट्स लगातार अपग्रेड किए, जो हर बार काफी हद तक वास्तविक कीमतों से मेल खाए या उससे ऊपर ही निकले।


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2024 का टारगेट लगभग सटीक रहा

पिछले साल MOFSL ने ₹98,000 प्रति 10 ग्राम तक का स्तर अनुमानित किया था, जो उसके ₹1.02 लाख के टारगेट के करीब पहुंच गया। अब कंपनी को लगता है कि सोने की मौजूदा कीमतों में बहुत कुछ पहले से ही शामिल है और आगे तेजी के लिए किसी बड़े और नए ट्रिगर की जरूरत होगी।

MOFSL के प्रीशियस मेटल रिसर्च एनालिस्ट मानव मोदी (Manav Modi) ने कहा, “हमें अब ज्यादा स्पष्टता का इंतजार करना चाहिए या किसी निर्णायक ट्रिगर का, जो गोल्ड की कीमतों को फिर से पुश करे। इस बीच गोल्ड में कंसोलिडेशन यानी ठहराव का दौर रहेगा।”

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गोल्ड में तेजी थमने के 6 बड़े कारण

MOFSL की रिपोर्ट में तेजी थमने के पीछे कई अहम कारण बताए गए हैं। आइए उनमें से 6 प्रमुख फैक्टर के बारे में जानते हैं।

1. जियोपॉलिटिकल टेंशन (Geopolitical Tension): इजरायल-ईरान (Israel-Iran) और रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) जैसे संघर्षों से जुड़ा जोखिम पहले ही कीमतों में गिन लिया गया है।

2. टैरिफ वॉर में कमी: अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ (Tariff) विवाद कम हो रहे हैं, जिससे बाजार में स्थिरता आ रही है।

3. ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें टलीं: जब ब्याज दर में कटौती होती है, तो गोल्ड में तेजी आती है। लेकिन, कटौती टलने से कीमतों को मिलने वाला शॉर्ट टर्म सपोर्ट फिलहाल नहीं दिख रहा।

4. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी धीमी: भारत और चीन समेत दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अभी भी सोना खरीद रहे हैं, लेकिन पहले जैसी तेजी नहीं है।

5. डॉलर इंडेक्स का असर: डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में गिरावट और डी-डॉलराइजेशन (De-dollarisation) के ट्रेंड का असर अब पहले से गोल्ड के दाम में शामिल है।

6. थकने लगा है सोना: गोल्ड की कीमतें काफी समय से ऊंचे स्तर पर हैं। इससे सोने के बाजार में फटीग (Fatigue) यानी थकावट के संकेत मिल रहे हैं।

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क्या कहता है सोने का इतिहास?

मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 25 साल में COMEX गोल्ड ने एक भी साल में 32% से अधिक का रिटर्न नहीं दिया। लेकिन मौजूदा तेजी में यह आंकड़ा पहले ही 30% पार कर गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि अब तेजी की गति थम सकती है।

लॉन्ग पोजिशन वालों को सतर्क रहने की सलाह

MOFSL ने रणनीतिक निवेशकों (Tactical Traders) को सलाह दी है कि वे ₹96,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर नजर रखें। यदि कीमतें इस स्तर से नीचे बंद होती हैं तो लॉन्ग पोजिशन से हेजिंग (Hedging) या आंशिक एक्जिट (Exit) का विचार किया जा सकता है।

नए ट्रिगर पर फिर से दिखेगा भरोसा

MOFSL ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई बड़ा और नया लॉन्ग टर्म ट्रिगर सामने आता है, तो वह फिर से गोल्ड में बुलिश रुख अपनाने के लिए तैयार है। लेकिन तब तक कीमतों में सीमित दायरे (Range-bound) में हलचल रहने की संभावना है।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

Tags: #Gold

First Published: Jul 21, 2025 11:32 PM

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