गोल्ड में 5 मार्च को गिरावट आई। अमेरिकी बॉन्ड्स की बढ़ती यील्ड और डॉलर में मजबूती को इसका कारण माना जा रहा है। उधर, गोल्ड में नए निवेश से पहले इनवेस्ट्स अमेरिकी टैरिफ के दूसरे देशों पर पड़ने वाले असर को देखना चाहते हैं। स्पॉट गोल्ड 0.2 फीसदी की नरमी के साथ 2,912.09 डॉलर प्रति औंस पर रहा। 4 मार्च को गोल्ड में करीब एक फीसदी का उछाल आया था। हालांकि, आज (5 मार्च) यूएस गोल्ड फ्यूचर्स और एमसीएक्स गोल्ड फ्यूचर्स में हल्की तेजी दिखी।
गोल्ड पर अमेरिकी बॉन्ड यील्ड का असर
कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि बेंचमार्केट 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड्स की यील्ड बढ़ने से गोल्ड (Gold) की चमक घटी है। इंडिया में 22 कैरेट गोल्ड का भाव 80,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गया। 24 कैरेट गोल्ड का भाव भी 87,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर निकल गया। अमेरिका ने मैक्सिको और कनाडा पर 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। उसने चीन पर ड्यूटी बढ़ाकर 20 फीसदी कर दी है। जवाबी कार्रवाई में चीन और कनाडा ने भी अमेरिकी प्रोड्क्टस पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है।
गोल्ड की चमक बढ़ने के आसार
ब्रोकरेज फर्म मेहता इक्विटीज के वीपी (कमोडिटीज) राहुल कलांतरी ने कहा कि गोल्ड फ्यूचर्स में तेजी देखने को मिली। इसकी वजह यह है कि टैरिफ वॉर को लेकर अनिश्चितिता बढ़ने का असर गोल्ड पर पड़ा है। गोल्ड को सबसे सुरक्षित एसेट माना जाता है। इनवेस्टर्स को एडीपी एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट और यूएस नॉन-फॉर्म पेरोल डेटा का इंतजार है। उधर, चीन में अगर सरकार नए पैकेज का ऐलान करती है तो गोल्ड की चमक बढ़ सकती है।
गोल्ड के लिए 2,888-2,868 डॉलर प्रति औंस पर सपोर्ट है। इसे 2,922-2,940 डॉलर प्रति औंस पर रेसिस्टेंस का सामना करना पड़ेगा। इंडिया में गोल्ड के लिए 86,450-86,220 रुपये प्रति 10 ग्राम पर सपोर्ट है। इसे 86,910-87,170 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रेसिस्टेंस का सामना करना पड़ेगा। रिद्धिसिद्धी बुलियंस के एमडी पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि अगर टैरिफ वॉर की वजह से अनिश्चितता की स्थिति जारी रहती है तो गोल्ड की डिमांड स्ट्रॉन्ग रहेगी।
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कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि शॉर्ट टर्म में उतारचढ़ाव के बावजूद गोल्ड का आउटलुक स्ट्रॉन्ग लग रहा है। इसकी वजह यह है कि अगर दुनिया में ट्रेड वॉर बढ़ने से उथलपुथल की स्थिति पैदा होती है तो गोल्ड की डिमांड बढ़ जाएगी। इनवेस्टर्स अपने पोर्टफोलियो में गोल्ड को शामिल कर सकते हैं। यह पोर्टफोलियो को डायवर्सिफिकेशन के लिए जरूरी है। पोर्टफोलियो का 5-10 फीसदी गोल्ड में हो सकता है।