बैंक खाते में एक पैसा न होने पर भी 10,000 रुपये निकालने का मौका मिले, तो क्या आप विश्वास करेंगे? प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए जीरो बैलेंस खाते इसी चमत्कार को साकार करते हैं। ये सुविधा गरीब और मध्यम वर्ग के लिए वरदान साबित हो रही है, खासकर आपात स्थिति में तुरंत नकदी की जरूरत पड़ने पर। आइए जानते हैं इस ओवरड्राफ्ट व्यवस्था का पूरा राज और कैसे इसका सही फायदा उठाएं।
ओवरड्राफ्ट क्या है, कैसे काम करता है?
ओवरड्राफ्ट का मतलब है बैंक का अस्थायी उधार, जब खाता शून्य या नकारात्मक बैलेंस में चला जाए। जनधन खाते में न्यूनतम बैलेंस रखने की बाध्यता नहीं होती, फिर भी आप 10,000 तक पैसे निकाल सकते हैं। जैसे ही खाते में पैसे जमा होंगे, बैंक खुद कटौती कर लेगा। इस पर मामूली ब्याज लगता है, लेकिन प्रक्रिया इतनी तेज है कि लोन अप्लाई करने की झंझट से बच जाते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, ये सुविधा इमरजेंसी कैश की कमी दूर करने का सबसे आसान तरीका है।
- तत्काल राहत: अचानक मेडिकल खर्च या यात्रा के लिए पैसे फटाक से मिल जाते हैं, बिना कागजी कार्रवाई के।
- कोई EMI का तनाव नहीं: जरूरत अनुसार इस्तेमाल करें, फिक्स्ड किस्त नहीं चुकानी पड़ती।
- बीमा कवर: रुपे डेबिट कार्ड पर 2 लाख तक का एक्सीडेंट इंश्योरेंस फ्री मिलता है।
ये लाभ खासतौर पर ग्रामीण और कम आय वाले परिवारों के लिए गेम चेंजर हैं, जो अक्सर बैंकिंग से दूर रहते हैं।
फायदों के साथ खतरे भी हैं। ओवरड्राफ्ट पर सामान्य बचत खाते से ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। बार-बार इस्तेमाल से खाता नेगेटिव रह सकता है, जिससे क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है। बैंक अपनी लिमिट और चार्ज तय करता है, इसलिए समय पर चुकाएं। अच्छे क्रेडिट वाले ग्राहकों को आसानी मिलती है, लेकिन लापरवाही महंगी पड़ सकती है। वित्तीय सलाहकार सुझाते हैं कि इसे सिर्फ वाकई जरूरी हालात में ही अपनाएं।
जनधन योजना ने लाखों लोगों को बैंकिंग से जोड़ा है, और ये ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाएं वित्तीय समावेशन को मजबूत कर रही हैं। अगर आपका जनधन खाता है, तो बैंक शाखा जाकर इसकी जानकारी लें। सही इस्तेमाल से ये छोटा उधार बड़ा सहारा बन सकता है। सतर्क रहें, तो वित्तीय स्वतंत्रता हाथ लगेगी।