गोल्डमैन सैक्स ने अगले साल गोल्ड की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच जाने की उम्मीद जताई है। अक्टूबर में गोल्ड की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। उसके बाद कीमतों में गिरावट आई। गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि अमेरिका में इंटरेस्ट रेट घटने और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी की वजह से सोने में तेजी देखने को मिलेगी। गोल्डमैन सैक्स ने गोल्ड को 2025 के टॉप कमोडिटी ट्रेड्स में शामिल किया है। उसका मानना है कि गोल्ड पर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का भी असर पड़ेगा।
3000 डॉलर तक पहुंच सकता है गोल्ड
गोल्डमैन सैक्स (Gold Sachs) के एनालिस्ट्स ने कहा है कि दिसबंर 2025 तक गोल्ड (Gold) 3,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाएगा। केंद्रीय बैंकों की डिमांड का असर गोल्ड पर देखने को मिलेगा। फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के इंटरेस्ट रेट घटाने से भी गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा। 18 नवंबर को गोल्ड का प्राइस 0.85 फीसदी तेजी से 2,585.2 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था। सिल्वर भी 1.36 फीसदी उछाल के साथ 30.70 डॉलर प्रति औंस थी।
ट्रेड को लेकर टेंशन बढ़ने का असर
सोने के लिए यह साल बहुत अच्छा रहा है। इसने 2024 में तेजी के नए रिकॉर्ड्स बनाए। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत से पहले इसमें गिरावट देखने को मिली। उधर, ट्रंप की जीत में डॉलर में मजबूती आई। गोल्डमैन सैक्स के एनालिस्ट्स का कहना है कि ट्रंप के कार्यकाल में गोल्ड की चमक बढ़ने की संभावना है। एनालिस्ट्स का कहना है कि ट्रेड को लेकर तनाव बढ़ने की उम्मीद है। इसका असर गोल्ड पर पड़ेगा। साथ ही फेडरल रिजर्व की मॉनेटरी पॉलिसी का असर भी गोल्ड पर पड़ेगा।
ईरान पर बढ़ सकता है प्रतिबंध
एनालिस्ट्स का कहना है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान की ऑयल सप्लाई पर सख्त प्रतिबंध लागू हो सकते हैं। ट्रंप की कोशिश ईरान पर दबाव बढ़ाने की होगी। इसका असर गोल्ड, ऑयल सहित कई कमोडिटी की कीमतों पर देखने को मिलेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन वजहों से 2025 भी रिटर्न के लिहाज से गोल्ड के लिए बेहतर साबित हो सकता है।
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क्या आपको निवेश करना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स कीमतों में गिरावट पर गोल्ड खरीद सकते हैं। खासकर उन निवेशकों को गोल्ड में निवेश करना चाहिए, जिनके इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में गोल्ड शामिल नहीं है। फाइनेंशियल एडवाइजर्स का कहना है कि पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी 5-10 फीसदी होनी चाहिए। यह पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिए जरूरी है। जिन निवेशकों के पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी कम है, वे गिरावट पर इसमें निवेश कर सकते हैं।