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Gold-Silver outlook: सोने-चांदी का अभी और बढ़ेगा भाव, टाटा म्यूचुअल फंड ने बताया दोनों में निवेश का सही तरीका

Gold-Silver outlook:  सोना-चांदी इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे हैं। टाटा म्यूचुअल फंड का मानना है कि अभी दोनों धातुओं की कीमतों में और तेजी आएगी। सोना महंगाई और भू-राजनीतिक जोखिम से बचाएगा, जबकि चांदी औद्योगिक मांग से बेहतर रिटर्न दे सकती है। टाटा म्यूचुअल फंड से जानिए सोने और चांदी में निवेश का सही तरीका।

अपडेटेड Oct 05, 2025 पर 7:35 PM
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इस साल चांदी का प्रदर्शन सोने से ज्यादा मजबूत रहा है।

Gold and silver outlook: पोर्टफोलियो को सुरक्षित और संतुलित बनाने के लिए सोना और चांदी, दोनों ही निवेशकों के लिए अच्छे विकल्प माने जाते हैं। इस साल इन दोनों ही कीमती धातुओं में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। इसके पीछे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, केंद्रीय बैंकों की खरीद और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती जैसे कारण हैं।

टाटा म्यूचुअल फंड ने बताया है कि सोने और चांदी में जोरदार रैली क्यों देखने को मिली है और इन दोनों को लेकर अब निवेशकों की क्या रणनीति होनी चाहिए।

सोना क्यों बना निवेशकों की पहली पसंद


टाटा म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के मुताबिक, सोने ने हमेशा आर्थिक अस्थिरता के दौर में अच्छा प्रदर्शन किया है। 2008 की वित्तीय मंदी के दौरान जनवरी 2008 से अगस्त 2011 तक सोने की कीमत दोगुनी हो गई थी। कोविड-19 महामारी की शुरुआत में 2020 में सोने में 53% की तेजी देखी गई। इस साल भी सोना रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचा है।

सोने की इस मजबूती के पीछे कई वजहें हैं। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने पिछले दशक में अपने गोल्ड रिजर्व लगभग दोगुने कर लिए हैं। और भारत ने भी इसमें इजाफा किया है। सितंबर 2025 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे सोने की कीमतों में तेजी आई। आगे और दरों में कटौती की उम्मीद जताई जा रही है।

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रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में अस्थिरता ने भी सोने को सुरक्षित निवेश का विकल्प बनाया। चूंकि भारत में 85% से ज्यादा सोना आयात होता है, इसलिए रुपये की कमजोरी ने घरेलू रिटर्न को और बढ़ा दिया है।

टाटा म्यूचुअल फंड का अनुमान है कि सोना शॉर्ट टर्म में 3,500 से 4,000 डॉलर प्रति औंस के दायरे में रह सकता है। उनका सुझाव है कि निवेशक गिरावट आने पर सोने को धीरे-धीरे जोड़ें, ताकि यह लंबे समय में महंगाई, रुपये की कमजोरी और भू-राजनीतिक जोखिमों से सुरक्षा दे सके।

चांदी: सोने से भी तेज चमक

इस साल चांदी का प्रदर्शन सोने से ज्यादा मजबूत रहा है। जनवरी में 28.92 डॉलर प्रति औंस से सितंबर तक यह 61% बढ़कर 46 डॉलर से ऊपर पहुंच गई।

टाटा म्यूचुअल फंड के मुताबिक, चांदी की मजबूती का सबसे बड़ा कारण इसकी औद्योगिक मांग है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ग्रीन टेक्नोलॉजी और सोलर पैनल जैसे सेक्टरों में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। चीन की रिकवरी और वैश्विक स्तर पर मजबूत औद्योगिक गतिविधियों ने इसकी कीमतों को बढ़ाया है।

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सोने की तरह ही फेड दरों में कटौती और डॉलर की कमजोरी ने भी चांदी को सपोर्ट किया है। लगातार पांचवें साल चांदी का बाजार सप्लाई डेफिसिट में रह सकता है, जिससे इसकी कीमतों को और सहारा मिलेगा।

भारत अपनी लगभग 92% चांदी आयात करता है। ऐसे में रुपये की कमजोरी ने घरेलू स्तर पर इसके रिटर्न को और बढ़ा दिया है। फिलहाल गोल्ड-सिल्वर रेशियो 85 से घटकर करीब 81 पर आ गया है, जो संकेत देता है कि आने वाले महीनों में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

निवेशकों के लिए रणनीति

टाटा म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को एक संतुलित रणनीति अपनाने की सलाह दी है। उसका सुझाव है कि निवेशक 50% हिस्सा सोने में और 50% हिस्सा चांदी में लगाएं। इससे निवेशकों को एक ओर चांदी की औद्योगिक ग्रोथ से फायदा होगा, वहीं सोना सुरक्षित निवेश का सहारा देगा।

लंबी अवधि का नजरिया

पिछले 30 सालों में सोने ने डॉलर में औसतन 7.6% और रुपये में 11% सालाना रिटर्न दिया है। वहीं, चांदी ने डॉलर में 6.4% और रुपये में 9.8% सालाना रिटर्न दिया।

लंबे समय में दोनों ही धातुएं संपत्ति सुरक्षित रखने का भरोसेमंद जरिया हैं। हालांकि, औद्योगिक मांग और सप्लाई की कमी के कारण चांदी से आने वाले समय में ज्यादा तेजी की उम्मीद की जा रही है।

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