24 कैरेट सोना इस वक्त MCX पर करीब ₹1.18 लाख प्रति 10 ग्राम के आसपास चल रहा है।
Gold Silver Prices Crash: कई महीनों की जोरदार तेजी के बाद अब सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने रिकॉर्ड हाई से करीब 11% गिर चुका है। वहीं, चांदी भी अपने उच्च स्तर से 16% से ज्यादा टूट चुकी है। भारत में भी दोनों कीमती धातुओं के दाम में बड़ी गिरावट आई है।
किस वजह से गिर रहे सोने-चांदी के दाम
सेफ-हेवन की मांग घटी: अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव कम होने के बाद निवेशक अब सोना-चांदी जैसी सुरक्षित एसेट से पैसा निकालकर शेयर बाजार और अन्य जोखिम वाले निवेशों में जा रहे हैं।
डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर फेडरल रिजर्व की पॉलिसी मीटिंग से पहले और अमेरिकी कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजों के चलते और मजबूत हुआ है। डॉलर के मजबूत होने से सोना और चांदी अन्य मुद्राओं में महंगे हो जाते हैं, जिससे ग्लोबल डिमांड घटती है।
कीमतों में बुलबुला: सोने और चांदी के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। कुछ एक्सपर्ट का मानना था कि यह कीमतों में बुलबुले का संकेत हो सकता है। इसके चलते निवेशक सोना-चांदी में नए निवेश से बचने लगे।
मुनाफावसूली (Profit Booking): सोने और चांदी की कीमतों में बीते महीनों में तेज उछाल आया था। अब कई निवेशक मुनाफा निकालने के लिए बेच रहे हैं, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ा है।
औद्योगिक मांग में कमी: खासकर चांदी की मांग उद्योगों में कम हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर सेक्टर से कमजोर ऑर्डर आने के कारण चांदी की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है।
ट्रेड रिलेशन सुधरना सबसे बड़ा फैक्टर
सोने और चांदी में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील को लेकर बढ़ती उम्मीदें हैं। खबरों के मुताबिक दोनों देशों के टॉप अधिकारियों ने एक समझौते का फ्रेमवर्क तय कर लिया है और इस हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात भी हो सकती है।
KCM Trade के चीफ मार्केट एनालिस्ट टिम वाटरर ने कहा, 'अमेरिका-चीन रिश्तों में सुधार की संभावना ने गोल्ड मार्केट की सपोर्ट लाइन को खींच लिया है, क्योंकि सेफ-हेवन बायिंग फ्लो में कमी आई है।' इससे निवेशक अब गोल्ड और सिल्वर जैसे डिफेंसिव एसेट्स से पैसे निकाल रहे हैं। उनका रुख अब इक्विटी और दूसरे जोखिम भरे निवेशों की ओर है।
शेयर बाजार में तेजी से गोल्ड की चमक फीकी
दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेजी दिख रही है। जापान का निक्केई 50,000 के पार, अमेरिका और यूरोप के इंडेक्स रिकॉर्ड हाई पर हैं। वहीं, OPEC द्वारा प्रोडक्शन बढ़ाने की योजना के चलते ऑयल प्राइस फिसले हैं। ऐसे माहौल में निवेशकों के पास गोल्ड और सिल्वर जैसे नॉन-यील्डिंग एसेट्स रखने का कम कारण बचा है।
यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड का दाम एक बार फिर $3,900 प्रति औंस के नीचे आ गए हैं। वहीं, चांदी भी $46 प्रति औंस के नीचे फिसल गई है। सोना अपने पीक पर $4,381 तक पहुंच गया था। वहीं, चांदी ने $54 का लेवल टच किया था। इस हिसाब से गोल्ड में 11% और चांदी में 16% से ज्यादा गिरावट आई है।
सेंट्रल बैंक पॉलिसी पर नजर
ट्रेडर्स की नजर इस हफ्ते फेडरल रिजर्व की मीटिंग पर है, जहां एक और ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है। आमतौर पर ब्याज दर घटने से सोने को सपोर्ट मिलता है, लेकिन अगर निवेशक ग्लोबल ग्रोथ को लेकर कॉन्फिडेंट रहते हैं, तो यह असर सीमित हो सकता है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ जापान से इस हफ्ते किसी बड़ी पॉलिसी चेंज की उम्मीद नहीं है।
भारतीय बाजार में भी दिखा असर
भारत में भी सोने-चांदी के भाव ग्लोबल ट्रेंड के मुताबिक कमजोर हुए हैं।
Gold: 24 कैरेट सोना इस वक्त MCX पर करीब ₹1.18 लाख प्रति 10 ग्राम के आसपास चल रहा है। डॉलर की मजबूती और मुनाफावसूली से इसकी कीमतों में दबाव आया है।
India Bullion & Jewellers Association (IBJA) की वाइस प्रेसिडेंट अक्षा कंबोज ने कहा, 'सोना अब भी सेफ-हेवन एसेट बना हुआ है, लेकिन फिलहाल इसका ट्रेंड सतर्क है। निवेशक अब क्लियर सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहे हैं।'
Silver: चांदी की कीमतें ₹1.40 लाख प्रति किलो तक आ गई हैं, जो हाल के हाई से नीचे हैं। चांदी एक इंडस्ट्रियल और प्रेशियस दोनों तरह की मेटल है, इसलिए कमजोर औद्योगिक मांग और निवेशक सेंटिमेंट दोनों ने इसकी कीमत पर दबाव डाला है।
कंबोज ने कहा कि लंबी अवधि के लिए चांदी में संभावनाएं बनी हुई हैं। लेकिन फिलहाल सावधानी से 'गिरावट पर खरीदारी' की रणनीति अपनानी चाहिए।
लॉन्ग टर्म नजरिया अभी भी पॉजिटिव
हालिया गिरावट के बावजूद, गोल्ड ने 2025 में अब तक करीब 53% का रिटर्न दिया है और अक्टूबर में $4,381 प्रति औंस का ऑल-टाइम हाई छुआ था। यह उछाल सेंट्रल बैंक बायिंग, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और रेट-कट की उम्मीदों से सपोर्टेड था।
सिल्वर भी इस साल के टॉप परफॉर्मिंग कमोडिटीज में शामिल है। इसे क्लीन एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में इंडस्ट्रियल यूज से सपोर्ट मिला है। एक्सपर्ट का मानना है कि लॉन्ग टर्म में गोल्ड और सिल्वर में अच्छा रिटर्न देने का दमखम बचा है।
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